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गाथा
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१२ विषय कामनाकृत दान निरर्थक
१७ दानी के दरिद्रता लोभी के ऐर्य क्यों? सुख-दुःख कब ? पात्र-अपात्र का विवेक आवश्यक निर्माल्य द्रव्य के भोग का परिणाम पूजा-दान आदि के द्रव्य के अपहरण का परिणाम २० पूजा-दान के द्रव्य का अपहरण बीमारियों का घर धर्म-द्रव्य के अपहरण से विकलांग पूमा दानादि धर्म का में अगर करने का फल २१ वंदना और स्वाध्याय आदि धर्म कार्यों में विघ्न करने २२ का फल पंचम काल में विशुद्धि की हीनता दुर्गति का पात्र कौन ? हेयोपादेय से रहित जीव मिथ्यादृष्टि है हेयोपादेय रहित जीव के सम्यक्त्व कहाँ ? लौकिक जनों की संगति योग्य नहीं सम्यक्त्व रहित जीव कौन? क्षुद्र स्वभावी व दुर्भावना युक्त जीव सम्यक्त्व हीन हैं जिन धर्म विनाशक जीवों के स्वभाव रत्नत्रय में सम्यग्दर्शन की मुख्यता सम्यक्त्व की हानि कैसे? अहो ! सबसे बड़ा कष्ट मिथ्यात्व सम्यग्दृष्टि ही धर्मज्ञ है मिथ्यादृष्टि की पहिचान साम्य भाव का घातक उपशम भाव के कार्य समय का उपयोग भरत क्षेत्र में अवसर्पिणी काल
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