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________________ अध्यात्म एवं योग शास्त्र . u D २६५. परमात्मप्रकाश-योगीन्द्र देव । पर संख्या- २५५ । साइज-१०३४ इन्न । भाषा-प्राकृत । विषय-वस्म । रखना काल-- । लेखन काल-X । 'पूर्ण । वेष्टन नं. ७६५ । विशेष—ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका तथा दौलतरामकृत भाषा का सहित है। योगीन्द्रदेव कृत लोक संन्या-४३, ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका श्लोक संख्या ५००, तभा दौलतराम कत भाषा श्लोक संख्या ६ • प्रमान्य है। दो मतियों का मिश्रा है । अंतिम पत्रों वाली प्रति में कई जगह अक्षर काटे गये हैं। २६६. प्रति नं. -पत्र संख्या-२४० | साइज--१९४५ इञ्च । लेखन काल -x | पूर्ण । वेष्टन नं. ७६६ २.६७ प्रति नं०३--पत्र संख्या-२१६ | साज-१०:४५ ४५ ! लेखन काल-में- १८६२ । पृणं । बन नं. २६. प्रति नं -पत्र संस्था--१७६ । साइज-११३४५६ इंच । भाषा-अपनश । लेखन काल-x। पूर्ण । वेष्टन नं० २०३। विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है । टीका उसम है । टीकाकार का नामोल्लेख नहीं मिलता है। इन प्रतियों के अतिरिक्त मय की ४ प्रतियां और हैं । २६८. परमात्मपुराण-दीपचन्द । ५५ संख्या-1 से 3 | साइज-१०४४३ च । भाषा-हिन्दी । विषयपथ्याम । रचना काल-X । लेमन काल-४ । पपूर्ण । ३न नं. ७३.८ | विशेष - अन्य का दि अन्त भाग निन्न प्रकार है पारम-पथ परमातम पुराण लिस्यने । दोहा-परम अखंडित ज्ञानमय गुण धनंत के धाम । अविनासी पानंद अग नखत लहै निज शाम ॥१॥ गाय --अचल अतुल अनंत महिम मंडित अखंडित त्रैलोकर शिखर परि विराजित अनीपम अबाधित शिव दीप है। तामें प्रातभ प्रदेश असंख्य देस है । सो एक एक देस अनंत गुण पुरुषन करि ब्यापत है। जिन गुग पुरुषन के गुण परणति नारी है | तिरा शिवीप को परमातम राजा है । चेतना परिणति राणी है । दरसण ज्ञान चरित्र ए तीन मंत्री हैं। सम्यक्स्व फोजदार है । सब देसका परणाम कोटवाल है । गुण सत्ता मन्दिर गुण पुरुषन के है । परमातम राजा का परमातम सत्ता महल परया तहा चेलना परणति कामिनी सो केलि करते प्रतें दिय अबाधित थानेद उपजे है । अन्त में ( पृष्ठ ३६ -परमातम राजा एक है परणति शक्ति भाविकाल में प्रगट श्रीर ओर होने की है परिवर्तन धन काल में व्यक्त रूप परणति एक है सो ही बस राजा को रमाई है। जो परणति वतमान की की राजा भोगये है सौ परगति समय मात्र श्रामीक अनंत सुम्य में करि विलय जाय है । परमातमा में लीन होय है।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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