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उनमें से प्रति
है।
२५४. आत्मावलोकन - दीपचन्द कासलीवाल पत्र संख्या १४ साइज - १९८५ मंच भाषाहिन्दी | विषय-श्रव्यात्म | रचनाकार- २७० न का पूर्ण । वेष्टन नं० ७६१ ॥
२५६. आराधनासार- देवसेन अध्यात्म | रचनाका समX पूर्ण
विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टिप्पण दी हुई है। दो प्रतियां और हैं '
पत्र संख्या १६-१०टन नं० ३५ ।
२५७. चार ध्यान का वर्णन
विषय-योग | रचना काल -- x | लेखन काल -X 1 पूर्ण जेष्टन नं० ४३७१
चौरासी आसन भेद
२५८ विषय - योग । रचना काल -X | लेखन काल - ०२७८८८ पूर्ण
ज्ञान व भाषा देखना -X पूर्ण
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विशेष लूथ के शिष्य पं० खीबसी ५६. ज्ञानात्र - श्राचार्य शुभचन्द्र । विषय-योग शास्त्र | रखना - लेखन काल ०१०१२
पत्र
विशेष - पं० श्री कृष्णदास ने प्रतिलिपि कराई थी
२६०. ज्ञानाय भाषा - जयचन्द्र छाबडा हिन्दी विषय-योग रचना का सं०] [१८६६ लेखन काल२६१. योग। चना काल
पत्र संख्या २२ साइन-६ भाषा - हिन्दी ।
विशेष प्राधायाम प्रकार का ही वर्णन है।
[अध्यात्म एवं योग शास्त्र
पत्र संख्या - ११ साम-च भाषा-सस्त वेष्टन नं० १३६ ।
प्रतिलिपि ।
संख्या - १२८ | साइज - १०३८५ । माषा-संस्कृत | वेष्टन नं० २० ॥
पूर्ण
की २ प्रतियां और हैं ।
संख्या १६६ साहस- १०३०३ च भाषावेष्टन नं. ४०० |
↓
पूर्ण
पत्र संख्या १६ साइ-१० च भाषा-हिन्दी विषयवेष्टन ० ५१२
२६२. द्वादशानुप्रेक्षा
काभ्याम । रचना -- लेख -X पूर्व वेशन मं०८२८ ।
पत्र संख्या-४४-१६ भाषा-विषय
विशेष प्राकृत भाषा में गाथा दी हुई है और फिर उन पर हिन्दी में लिखा हुआ है।
२६३. द्वादशानुप्रेक्षा
पत्र संख्या १ से ५१४ पूर्ण वेष्टन नं० १३
विषय-अध्यात्म रचना काल- लेखन का
२६४. द्वादशानुप्रेक्षा"
अध्यात्मा । रचना काल-X लेखन का पूर्व मेननं० ५५१
भाषा-हिन्दी)
पत्र संख्या--११ भाषा-हिन्दी विषय