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________________ ૪૦ ! उनमें से प्रति है। २५४. आत्मावलोकन - दीपचन्द कासलीवाल पत्र संख्या १४ साइज - १९८५ मंच भाषाहिन्दी | विषय-श्रव्यात्म | रचनाकार- २७० न का पूर्ण । वेष्टन नं० ७६१ ॥ २५६. आराधनासार- देवसेन अध्यात्म | रचनाका समX पूर्ण विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टिप्पण दी हुई है। दो प्रतियां और हैं ' पत्र संख्या १६-१०टन नं० ३५ । २५७. चार ध्यान का वर्णन विषय-योग | रचना काल -- x | लेखन काल -X 1 पूर्ण जेष्टन नं० ४३७१ चौरासी आसन भेद २५८ विषय - योग । रचना काल -X | लेखन काल - ०२७८८८ पूर्ण ज्ञान व भाषा देखना -X पूर्ण WAI d विशेष लूथ के शिष्य पं० खीबसी ५६. ज्ञानात्र - श्राचार्य शुभचन्द्र । विषय-योग शास्त्र | रखना - लेखन काल ०१०१२ पत्र विशेष - पं० श्री कृष्णदास ने प्रतिलिपि कराई थी २६०. ज्ञानाय भाषा - जयचन्द्र छाबडा हिन्दी विषय-योग रचना का सं०] [१८६६ लेखन काल२६१. योग। चना काल पत्र संख्या २२ साइन-६ भाषा - हिन्दी । विशेष प्राधायाम प्रकार का ही वर्णन है। [अध्यात्म एवं योग शास्त्र पत्र संख्या - ११ साम-च भाषा-सस्त वेष्टन नं० १३६ । प्रतिलिपि । संख्या - १२८ | साइज - १०३८५ । माषा-संस्कृत | वेष्टन नं० २० ॥ पूर्ण की २ प्रतियां और हैं । संख्या १६६ साहस- १०३०३ च भाषावेष्टन नं. ४०० | ↓ पूर्ण पत्र संख्या १६ साइ-१० च भाषा-हिन्दी विषयवेष्टन ० ५१२ २६२. द्वादशानुप्रेक्षा काभ्याम । रचना -- लेख -X पूर्व वेशन मं०८२८ । पत्र संख्या-४४-१६ भाषा-विषय विशेष प्राकृत भाषा में गाथा दी हुई है और फिर उन पर हिन्दी में लिखा हुआ है। २६३. द्वादशानुप्रेक्षा पत्र संख्या १ से ५१४ पूर्ण वेष्टन नं० १३ विषय-अध्यात्म रचना काल- लेखन का २६४. द्वादशानुप्रेक्षा" अध्यात्मा । रचना काल-X लेखन का पूर्व मेननं० ५५१ भाषा-हिन्दी) पत्र संख्या--११ भाषा-हिन्दी विषय
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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