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[ धर्म एवं आचार शास्त्र २१३. मोतमार्ग प्रकाश-4. टोडरमल | पत्र संख्या-१६०५ साज-१३१४६३ इन्न । भाषाहन्दी । इंटारी | विषय-धर्म । रचना काल-x 1 लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन नं. २ ।
विशेष-प्रति संशोधित की हुई है ।
२१४. प्रति नं०२-पत्र संख्या- २२७ । साइज-10x५६ इव । लेखन काल-x। अपूर्ण । बटन नं. ७११ ।
विशेष-यह प्रति स्वयं पं. टोडरमलजी के हाथ की लिखी हुई है । इसके अतिरिक्त प्रभ की २ प्रति और है लेकिन वे भी अपूर्ण है।
-पत्र संख्या-१३ । साइज-१९४५ इन्च | मात्रा-हिन्दी | विषय-धर्म । रचना काल-X । लेखन काल-x 1 अपूर्ण । बेटन नं०८७० |
२१६. यत्याचार-वसुनंदि । पत्र संख्या-७ से २०७ । साइज-१५४६.५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-प्राधार शाम । रचना काल-x | लखन काल-सं. १८६५ चैत्र सुदी । अपूर्ण । वैप्टन नं०६८ 1
विशेष-अमरचन्द दीवान के पठनार्थ अप की प्रतिलिपि की गयी थी।
२१७. रनकरंट पावकाचार-श्रासमंतभद्र । पत्र संख्या-१० । साइज-3x४: इन। भाषासंस्कृत | विषय-पाचार शान | रचना काल-- लेखन काल-सं. १६.. भादवा सुदी १३ | पूर्ण । वेष्टन नं. १ ।
विशेष-जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी। श्रावकाचार की ३ प्रतियां और हैं ।
२१८. रनकरंडप्रावकाचार टीका-प्रभाचन्द्र | पत्र संख्या-५२ । साइज-1:४५ इश | भावासंस्कृत । विषगप्राचार शास्त्र । रचना काल-X । लेखन काल-X । पूर्ण । वेष्टन में० ७४० ।
विशेष—प्रारम्म के २५ पत्र फिर से लिखवाये हुये हैं । टीका की एक प्रति और है।
२१६. रत्नकरसद्धश्रावकाचार-सदासुख कासलीवाल । पत्र संख्या-४७६ | साइज-१२३४४३ इश्च । भाषा-हिन्दी । रचना काल-सं० १९२० चैव वुदी १४ । लेखन काल--X } अपूर्ण । वेष्टन ० ७७६ |
विशेष प्रति उत्तम है । प्रम की २ प्रतियां और हैं । दोनों ही थपूर्ण हैं।
२२०. व्रतोद्योतन श्रावकाचार-अभ्रदेव । पत्र संख्या-१७ | साइज-१२x२ इंच । भाषा-संस्कृत । विषय-धाचार शान । रचन। काल-x | लेखन काल-स. १८३५ आषाद बुदी ३ | पूर्ण । बेष्टन नं. ८१४ ।
२२१. वृहद् प्रतिक्रमण-पत्र संख्या-३७ । साहज-११५४५ इन | भाषा-पात | विषय-धर्म। रचना काल-X । लेखन काल-सं० १७४२ श्रावणा चुदी ३ | पूर्ण । वेष्टन नं. १४ ।
विशेष-मुनिभुवनभूषण ने बाली में प्रतिलिपि को थी।