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[धर्म एवं माचार शास्त्र सर्वत्सरेस्मिन विक्रमादित्य १६३२ बजे माघमास शुक्लपक्ष पंचम्यां तिथी शुक्रवासरे मालवदेशे पन्दगदुर्गे पार्श्वनाथ चैत्यालये श्री मूलसंधे मलाकारगर सरस्वतीगरछे कूदकदाचार्यान्वये तदानाय महाबादवादीश्वर मलाचार्य श्री श्री श्री देवेन्दकीर्तिदेव । तस्पट्ट में० नाचार्य श्री त्रिभुवनकीर्ति देव । तापट्ट मं० श्री सहस्रकीतिदेव । तत्पट्ट मंडलाचार श्री पद्मनंदि देव । तत्प? मंडलानार्य श्री यशःकीर्तिः । तत्प म. श्री ललितकीर्ति लिखित पंदित रत्न पठनार्थ ३८. उपासकाचार ग्रन्थ लिखितं ।
२००. प्रति नं० ४३ - पत्र संख्या- १२२ | साइज-११४४६ इंच | लेखन काल-स. १६४८ शास्त्र नदी । पूर्य 1 वेष्टन नं. १६१ ।
विशेष-सहारनपुर नगर बादशाह श्री अकनर जलालुद्दीन के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी। इस प्रप की भण्डार में ५ प्रतियां और हैं जिनमें : प्रतियां अपूर्ण है।
२०१. प्रश्नोत्तरश्रावकाचार-सकल कीर्ति । पत्र संख्या ६२ | साइज-११३४५ इंच । भाषासंस्कृत | विषय-प्राचार । मना माल- । लेस्टुन काल. ५ : पर्ण : का. १८५ ।
विशेष-यति प्राचीन है प्रथम पत्र नवीन हैं। २०२. प्रति नं० २-पत्र संख्या-७२ | साइज-११४५ च । लेखन काल-X । अपूर्ण । पेन नं० १.४।।
२०३. पुरुषार्थसिद्धयु पाप-अमृतचन्द्राचार्य । पत्र संख्या-३८ । साइज-२४x च । भाषासंस्कृत | विषय-धर्म । रचना काख-XI लेखन काल-सं. १६२७ वैशाख मुदी ५ । पूर्ण । वेष्टन नं ० ६३ ।
विशेष इसका दूसरा नाम जिन प्रवचन रहस्य कोश भी है। प्रति संस्कृत टीका सहित है तबा रीका का नाम त्रिपाठी है। संस्कृत पदों पर टोका।
२०५. पुरुषार्थसिद्धयुपाय-पंडित टोबरमलजी । पत्र संख्या-१११ । साहज-११४७३ च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचना काल-सं० १२७ । लेखन काल-स. १८३८ माघ दी 1 पूर्ण वे टन नं० ३१६ ।
विशेष-प्रम को २ प्रतियां और हैं लेकिन वे दोनों ही अपूर्ण हैं।
२०५. ब्रह्मविलास-भगवतीदास ! पत्र संख्या-११६ । साइज १०६४७३ इंच। मा-हिन्दी; विषय-धर्म । रचना काल-१७५५ । लेखन काल-१८८६ | अपूर्ण । वेष्टन नं ० ७२६ ।
विशेष -भैय्या भगवतीदास की रचनाओं का संग्रह है। विलास की एक प्रति श्रीर है वह अपूर्ण है।
२८६. बाईस परीपह वर्णन-पत्र संख्या-६ 1 साइज-१.६४६३ इञ्च । रचनाकाल-४ । लेखन कात.. सं० १८६४ । पूर्व 1 वेप्टन नं०६८० |
विशेष -प्रय गुटका साइज है ।