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[धर्म एवं आचार शास्त्र
१८३. धर्मप्रभोत्तरभावकाचार भाषा-चंपाराम । पत्र संख्या-१६० । साज-१२xk३ च । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-वाचार ! रचना काल-सं० १८६८ भादवा सुदी५ । लेखन काल-सं० १६६० भादवा सुदी ७ । पूणे । वेष्टन न.७..।
विशेष-दीपचन्द के पौत्र तथा हमालाल के पुत्र चम्पाराम ने सवाई माधोपुर में अन्य रचना की थी। जिसन प्रशस्ति दी हुई है।
१८४. धमसंग्रह श्रावकाचार-पं० मेधाची । पत्र संख्या-४ | साज-११४ विषय-बाचार । रचना कास-सं. १५४१ । लेखन काल-सं. १८३२ र्गा | बोष्टन नं. १८ ।
च । भाषा-संस्कृत
विशेष-सवाई जयव में मोपतिराम ने प्रतिलिपि की थी।
१८५. धर्मोपदेशशवकाचार-प्र० नेमिदत । ११ संख्या-३० । साहन- x५ च । भाषासंस्कृत । विषय-श्राचार । स्चना काल-- । लेखन काल-सं० १६३३ कानिफ सुदी । । पूर्ण । वेष्टन नं० १८२ ।
विशेष- चपावती वर्ग के श्रादिनाम चैत्यालय में महाराजाधिराज श्री भगवंतदासजी के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी की।
१८६. प्रति मं०२-पय सरच्या-१७ साज-११४५३ च । लेखन काल-सं० १६.६ माह सुदी ५ । घूर्ष । वैधन नं. १:३1
विशेष-टोडा दुगे। टीटारायसिंह ) में महाराजाधिराज श्री रामचन्द्र के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी।
१७. नरक दुःख वर्णन-पत्र संख्या-३-४ | साइज-१२x६ इन्च ! भाषा-हिन्दी विषय-धर्म । स्चना काल-X । लेखन काल-४ | अपूर्ण । घेण्टन नं. १ ।
१६. नरक दुःल वर्णन-पत्र संख्या-३ । साइज-२१:४ । भाषा-हि-दी। विषय -धर्म । रचना काल-X । लेखन काल-४'। अपूर्य 1 बेष्टन नं. १०४७ ।
१६. नरक दुःख वर्णन-पत्र संख्या-१२ । साइज-६x४, इव । भाषा-जि-दी गय । विषय-धर्म । रचना काल-X । लेखन कारख-० १८१६ पौष कुंदी ३ । पूणे । मेष्टम नं. १०१।।
. विशेष-माषा इटारी है तथा उर्दू के शब्दों का मो कहीं २ प्रयोग छुपा है। नरकों के वचन के प्रागे अन्य बन जैसे त्वर्ग, मार्गखायें तथा काल अन्तर श्रादि का वर्णन मी दिया हुआ है।
१६०, पद्मनन्दिपंचविंशति-पअनन्दि । पत्र संख्या-६२ । साज-१०x१ इंच । भाषा प्राक्तमंस्कृत | विषय-धर्म । रचना काल-X । लेखन काल- ४ | पूर्ण वेन्टन नं. ३ !
विशेष-ति प्राचीन है।