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सिद्धान्त एवं चर्चा ] विशेष-दूसरे अध्याय से है । श्रेष्टन नं० ७४ के समान है।
८६. प्रति नं.५.---पत्र संख्या-६२ | साइज-११६x४३ ह । लेखन काल-X । पुणे । वेष्टन 4. ७४७ बेष्टन नं. ८३४ के समान है।
७. प्रति नं०६-पत्र संख्या-१३१ । साइन-१४४५व्व । लेखन काल-पैशास्त्र मुदी ५ भ. १७७६ । पूर्ण । वेष्टन नं० ८२३ ।
विरोष-पापब्दा में ग्रन्थ की प्रतिलिपि की गई मो: लिखितं ऋषि जवीराजेण । तिखापित श्री संघन नगर पापडदा मन्ये । दूसरे अध्याय से लेकर १०३ अध्याय तक की टीका है। यह टीका उतनी विस्तृत नहीं है जितनी प्रश्नम अध्याय
4. तत्त्वार्थसूत्र भाषा-जयचन्द्र छाबडा । पत्र संख्या-४४० । साहज-१०४७ च । भाषाहिन्दी गछ । विषय-सिद्धान्त । रचना काल-सं.१८६५ चैत सुदी ५ । लेखन काल-० १८६५ । पूर्ण । वेष्टन नं. ७३२ ।
विशेष-महात्मा लालचन्द ने प्रतिलिपो की भो ।
म. तत्त्वार्थसूब भाषा-सदासुख कासलीवाल | पत्र संख्या-३३६ । साइज-११४७ । माषा-हिदी गया। विषय-सिद्धान्त 1 रचना काल स. १६१४ वैशाख सुदी १० । लेखन काल-सं. १:३६ कार्तिक सुदी। पूर्ण । वेष्टन नं. ७१।
विशेष-सदारास जी कृत तत्त्वार्थ सूत्र की यह वृहद टीका है । टोका का नाम 'अर्थ प्रकाशिका' है। अन्य की रचना सं० १३१२ में प्रारम्भ की गई थी।
१०. तत्वार्थ सूत्र भाषा-सदासुख कासलीवाल । पत्र संख्या--१२३ । साज-८४५ हन । भाषाहिन्दी गध । विषय-सिद्धान्त । रचना काल-सं० १६१. फाल्गुण बुदी १० 1 लेखन काल-सं० १११६ श्रापाद मदी ।। पूर्ण । वेष्टन नं०७१२ ।
विशेष-सदासुखजी द्वारा रचित तस्वार्थ सूत्र को लघु भाषा वृत्ति है। ११. प्रति नं २–पत्र संख्या १२७ । साइज-११४५ च । लेखन काल-X I पूर्ण । वेष्टन नं. ७५३ ।
१२. तत्वार्थ सूत्र टोका भाषा-पत्र संख्या-१ से १०० 1 साइज-१५४७ च | भाषा-हिन्दी । विषयसिद्धान्त । रचना काल-X । लेखन काल-- । अपूर्ण । वेष्टन नं. ७८० । विशेष---१०. से भागेकेपत्र नहीं है । प्रारम्भिक पद्य निम्न प्रकार हैं
श्रीवृषमादि मिनेश अर, अंत नाम शुभ वीर । मनवचकायविशुद्ध करि, बंदो परम शरीर ॥ ३ ॥