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नं ०
नं० १६० ।
७८.
४६०
[ सिद्धान्त एवं चर्चा
प्रति नं० १३ - पत्र संख्या ५२ | साइज - १००७३ मंच | लेखन काल -X | पूर्ण । वेष्टन
विशेष – हिन्दी
टीका सहित हैं ।
७१. प्रति नं० १४ - पत्र संख्या - १६ । साइज - ११४५३ च । लेखन काल -X | पूर्ण । वेष्टन
।
७२. प्रति नं० १५- पत्र संख्या - १५ | साइज - १०४५ १ । लेखन काल -X | पूर्ण | वेष्टन मं० ३०४ ।
७३. प्रति नं० १६- पत्र संख्या - १३ | साह - Ex४३ च । लेखन काल स० १-१२ श्रावण पुदी १४ ।
पू। बेटन नं० २०५ ।
७४. प्रति नं० १७-पत्र संख्या - १० | साइज - ६x४३
७५. प्रति नं १८ - पत्र संख्या ६ साइज - ११३४६३
विशेष-- प्रत्येक पत्र के चारों ओर सुन्दर बेलें हैं।
७६. प्रति नं० १६ - पत्र संख्या ६६ | साइज - ११४५ च लेखन काल - x पूर्ण 1 नं० ४८७।
वेष्टन नं० ४ ।
| लेखन काल - X। पूर्ण वेष्टन नं ० ३०६ ॥ । लेखन काल-X | वेष्टन नं० ३०७ ।
विशेष-- सूत्रों पर संक्षिप्त हिन्दी अर्थ दिया हुआ है । थतर मोटे हैं। एक पत्र में तीन पंक्तियाँ हैं । ७. प्रति नं० २०५ संख्या - ६३ । साइज - १२४१ ३ ६ । लेखन काल - X 1
पूर्ण । वेष्टन
विशेष-- हिन्दी वा टीका सहित है प्रति प्राचीन है ।
७. प्रति नं० २१ पत्र संख्या-1 साइज - ११४५ इंच | लेखन काल सं० १६४६ कार्तिक सुदी
६६ ।
प्रति संस्कृत टीका सहित है जिसमें प्रभाचन्द्र कृत लिखा हुया है। लेखक प्रशस्ति निम्न प्रकार है । की दी हुई है।
प्रशस्ति - संवत् १६४९ वर्षे शाके १५१४ कार्तिक सुदाँ १५ गुरुवासरे मालपुरा वास्तव्ये महाराजाधिराज श्री फंवर माधोसिंह जी राज्य प्रवर्तमाने श्री मूलचे नंया नाये रखा कारणे सरस्वती श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री प्रमाचन्द्रदेव विरचिता । यह अन्य मीमराज वैथ ने मनोहर लोका से पढ़ने के लिये मोल लिया था ।
७६. तरषार्थ सूत्र वृत्ति-पत्र संख्या - २८ | साइज - १०३४४३ मंत्र | भाषा-संस्कृत । त्रिषयसिद्धान्त । रचना काल-X | लेखन काल सं० १४.४७ वैशाख सुदी ७ | पूर्ण | वेष्टन मे० ६१ ।
विशेष-- टीका में मूल सूत्र किये हुऐ नहीं हैं। टीका संकित है।
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