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________________ गुट के एवं संग्रह प्रन्थ ] [ ३०१ गंगाष्टक शंकनाचार्य मंस्कृत जिनसहस्रनाम जिनसेनाचार्य रंगनाथ स्तोत्र गोविन्दायक शंकराचार्य ६१८. गुटका नं० ११७-१८ संख्या-६६ । साइज-७४५३ इत्र । मापा-हिन्दी-संरकत । लेखन कवच-X । पूर्ण । निम्न संग्रह है: भाषा विशेष कती का नाम असय देव मारुत जिनबस्लम सूरि ४ हिन्दी विषय-सूची (१) पार्श्वनाथ नमस्कार (२) अजित शांति स्तोत्र (३) अजितशांति स्तवन () यह स्तोत्र (५) सर्वाधिटायिक स्तोत्र (६) जैनरक्षा स्तोत्र {.) मक्तामर स्तोत्र (= ) मध्यागामंदिर स्तोत्र (2) नमस्कार स्तोत्र (१०) वसुधारा स्तोत्र (११) पद्मावती च उपई (१२) शक स्तवन (१३) गोतरासा । । । । । जिनप्रभसूरि सिदिसेन दिवाकर बिनयमम १० का०सं०१४१२ ६१६, गुटका नं० ११५-पन संख्या २२० । साज-६३४४ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-संग्रह । लेखन काल-X । अपूर्ण । विशेष-बीच २ में से पत्र काट लिये गये गये हैं। विषय-सूची की का नाम ____ भाषा विशेष (१) पीपाजी की चतुराई (२) नाग दमन कमा हिन्दी गय (कालिय नागी संवाद) (३) महाभारत कथा गद्य में ३३ अध्याय हैं ले• का० सं० १७८१ श्रासोज सुदी - ( ४ ) पद्मपुराण ( उत्तर खंड) - ले. का०सं० १७५२ श्रावण सुदी ३
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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