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________________ २=६] पूर्ण पूर्ण संवत् सोहले नवासे मथुरापुरी बेसमा थाले । असुन पहल ग्यारसि रविवारी, तहा पट पर मोहि विस्तारी || २७१ || करि जागर प्रकमा दोनी, पी। शु भगत समेत संतोको सोई, ज्यों वो तद वचन सेन के सुख होई ॥ २=० || दोहा - नम राम रामनंदा, नमहं अनंतानंद | अपूर्ण चरन कंवल रज सिर धरै, पर नगै सानंद ॥ २८१ ॥ (३) राजा बंद की कथा-पं फूरो पत्र संस्था- २३१-२०४ | माश-हिन्दी रचना काल सं० १६३ फागुण सुदी २ | विशेष – राजा चंद श्राभानेरी की कथा है। चन्दन मलयगिरी कथा भी इसका दूसरा नाम है । ५५०. गुटका नं० ७६२ २२ साइज ६४ भाषा - हिन्दी ॥ इति श्री भगति भावती च समाप्ता ॥ विशेष चरनदान त सतगुरु महिमा है: प्रथम अन्तिम पत्र नहीं है. प्रारम्भ [ गुटके एवं संमह मन्य सुख देव जी पूरन विसवा वीस | परम हंस तारन तरन गुरु देवन गुरु देवा | अन वानी दीजिए सहजो पावे मेवा । नमो नमो गुर देवन देवा ॥ लेखन का X | ५१. गुटका नं० ८०-११ संख्या ३० साइज इम भाषा-हिन्दी लेखन काल - x 1 विशेष तीर्थंकरों के माता, पिता, गवधर, वंश नाम आदि का परिचय, नन्दीश्वर तथा जीव धादि के भेदों का वर्णन किया गया है। ५२. गुटका नं० ८१ पत्र संख्या २६५ भाषा-हिन्दी लेखन काल- पूर्ण 1 विशेष - पंचमंगल, सिद्धपूजा - सोलह कारण, दशलक्षण, पंचमेरु पूजा प्रादि का संग्रह है। ५६२. गुटका नं० २०११०२६x४ भाषाशात हिन्दी का X
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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