________________
२७४
[ गुट के एवं अन्य संग्रह
दयाकलशागणि यमरमाधिक गृक । तासु पसाद सुविधि हुँ भाजद । कहा साधु कीरति कर अमन संसा रादि !
साधुकीरति करत जन संस्तव सविलील सव सुख साजा ।। इति सत्ता प्रकार पूजा प्रकरण ||
५३६. गुटका नं. ३४-पत्र संख्या-१४ से ८६ । सइन-x५५श्व | भाषा-प्राकत हिन्दी । लेखन काब-x| अपूर्ण।
विशेष-द्रव्य संग्रह की गाथायें हिन्दी अर्थ सहित है तथा समयसार के २०६ पथ है।
५३७. गुटका नं. ३५-पत्र संख्या-६ से २८ । साइज-६६x४ ३श्व | भाषा-हिन्दी । लेखन काल-x।
अपूर्ण ।
विशेष--पूजाथों का संग्रह है। ५५गुटका नं.३६-पत्र संख्या-६ मे ६३ । साइन-१४५ इच : माषा-हिन्दी लेखन काल-x।
अपूर्ण।
विशेष—महाकवि कल्याण विनित अनंग रंग नामक कान्य है । काम शास्त्र का वर्णन है श्रामे इसी कवि द्वारा निरूपित्त संभोग का वर्णन है : श्रायुर्वेद के नुसखे दिये हुए हैं।
५३६
गुटका नं.३३-पत्र संग्ख्या-६ साइज-६x६अ। माषा-संसत हिन्दी । लेखन काल-x0
पूर्ण।
विशेष-विष्णु सहस्रनाम के अतिरिक्त अन्य मी पाठ हैं।
५४२. गुटका नं० ३८-पत्र संख्या-१० । साहज-७४५६ इन । भाषा-हिन्दी । लेखन काल-सं. १५६ पौष सुदी | पूर्ण ।
विशेष—त्रिमिन साधारण पाठों का संग्रह है।
५४१. गुटका न -पत्र संख्या-७ | साइज - Exism | भाषा-संस्कृत । लेखन काल-सं० १८८३ चत्र पुदी १४ । पूर्ण ।
विशंव- चाणक्य राजनीति शास्त्र का संग्रह है।
५४२. गुटका नं०४१-~-पत्र संख्या-३८ | साइन-ixi इव । मावा-संस्कृत । लेखन काल-x। अपूर्ण एवं जीयं ।
५४३. गुटका नं.४२-पत्र संख्या-६ । साइन-६x६ इन | भाषा-प्राकृत | लेखन काल-सं. १८१२ । पूर्ण ।