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________________ गुटके एवं संग्रह अन्य ] विनती संग्रह संपासिका भाषा अठारह नाता पूर्ण | काल x पूर्ण थानतराय विशेष – मुख्य पाठों का संग्रह निम्न प्रकार है। विषय-सूची कर्ता का नाम स्तोत्रत्रिवि जिनेश्वरपूरि मक्कार तोष मानगाचार्य कल्याण मंदिरस्तोत्र कुमुदचन्द्र पद संग्रह सतर प्रकार पूजा प्रकरण) रागमाला अष्टापद गिरिस्तवन ५३४. गुटका नं० ३२-१३ -२० सा७४ | भाषा-हिन्दी लेखन काल-X पद २ स्तंभनक पार्श्वनागीन विशेष-६५ चतुराई की बार्ता दी है जिसका रचना कल वीर सं० २०४९ है । ५२५. गुटका नं० ३३ पत्र संख्या २३ से १४२ साहब - ६८६ इस भाषा - हिन्दी लेखन पद कवित साधुकीर्ति " हिन्दी इनके अतिरिक्त और भी हिन्दी पद हैं। सतर प्रकार पूजा प्रकरण रामनामाथि धन 33 23 17 भाषा हिन्दी संस्कृत हिन्दी धर्मसुन्दर (वाचनाचार्य) जिम महिमासागर जिनचन्द्र सूरि, जिनकुशल सूरि व कुमुदचंद्र | हिन्दी " વિમ્મી [ २७३ विशेष ││1 ब. का. १६५८ श्री. पु.५ २. का. १४२१ के सठि दिन सेम तरणि सुख राज | 1 कवि शतक बाउ पति शक्रस्तव परगद मखाज ॥ ० ॥ पर शांति सब सुखदाई सो प्रभु नवनिधि सिधि श्राव जह || सत्तर पूज सुविधि आवक की । मीमई भगति हिज काज ॥० ॥ श्रीजिनचंद्रसूरि गरू खरतरपति । धरमनि वचन दानु तसु राजइ ॥ संवत् १६ अार आव दि पंचम दिवसि समाज ॥०॥ ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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