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[ गुट के एवं संग्रह ग्रन्ध ५०३. स्तवन-पत्र संस्था-१ | साइज-10xts | भाषा-फारसी। लिपि-देवनागरी । विषयस्तवन । रचना काल-X । लेखन काल-४ । पूर्ण । वेष्टन नं० १४ ।
विशेष-प्रदालत में मुकदमा पेश होने का पूरा रूपक है | जिस प्रकार अदालत में अर्ज की जाती है ठीक उसी तरह भगवान से प्रार्थना की गई है।
गुटके एवं संग्रह गन्थ ५.४. गुटका नं० १-पत्र संख्या-२७५ । साज-११४५ दश्न । भाषा-हिन्दी संस्कृत । लेखन काल-सं. १८५३ । पूर्ण ।
मुख्य रूप से निम्न पाठों का संग्रह है--
(१) प्रत विधान बासों-संगही दौलतराम । पत्र संख्या-१ से २३ । भाषा-हिन् । स्थना काल-सं० १७६७ श्रासोज हुदी १० । लेखन कान- सं० १८१८ श्रासोज सुदी ३ 1 पूर्ण । प्राम-प्रश्रम मिरों स्वामी वृषभ जिनंद, श्रादि तीर्थ कर सुस्त्र के औद ।
तो नमो तिथंकर वीस है, नमो सनमति सदा सिंव मुम्बधाम । नमो परमेशी जी पत्र पद, ता समिरे होय सुख अभिराम ।
___ तो वरत की मधि जैन का ।। १ ॥ रस प्रोजली - अहो तप रस प्रोजली मास बैशाख, सुकल तानसी जी करि अभिलाष .
तो प्रत चौईस अति निर्मला, तीन स भोजली जल मन भाय ।।