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विशेष
[रित्र एवं का 1- आठ सर्ग हैं। श्री शीतलनाथ वैश्यालय गौटिल्यामेव पाट में अन्य रचना की गई थी। मांग क रामका- १०१० प्रमाण है । २० से ४१ तक पत्र दूसरी प्रति के हैं। प्रति प्राचीन है। एक प्रति और हैं। २८०. यशोधरचरित्र - लिखमीदास
व | निबंध-चरित्र । चदा काल सं० १७८१ कार्तिक सुदी
२१८ ]
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पत्र संख्या - १३ । साइज - १३४७१ लेखन काल-सं० १९५२ । पू ।
२८१.
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यशोधरचरित्र भाषा - खुशालचन्द | पत्र संख्या- ३३ । साइन- १३ हिन्दी पथ । त्रिषय-चरित्र 1 रचना काल-० १७८१ कार्तिक सुदी में । लेखन काल - रा० १३.०० प्रवाद बुढी ३ । पूर्व ।
विशेष- पं० कालीचरन ने प्रतिलिपि की थी। एक प्रति और है ।
२२. रघुवंश - कालिदास पत्र संख्या- ११७ | साइज - १०४ य कान्न । रचना कारन X लेखन काल -X | पूर्ण वेष्टन नं०४५ |
इत्र । भाषा-हिन्दी
न नं १२२ १
विशेष - प्रति प्राचीन है। संस्कृत टीका सहित हैं। वर्षों के मध्य में मूल सूत्र है तथा ऊपर दो टीका की है । अ ंय टीका श्लोक संख्या - ५२४० है । मूल श्लोक संख्या - २००० है ।
एक प्रति और है लेकिन वह थपूर्ण है ।
प्रारम्भ - श्रीमज्जानकी नाथाय नमः |
२८३. रामकृष्ण काव्य-पं सूर्य कत्रि । पत्र संख्या - २३ | साइज - ११४४ विश्व-काव्य रचना काल-X | लेखन काल-२०१८१७ चैत्र सुदी ११ | श्रपूर्ण | वेष्टन २० ४०२ ।
विशेष ग्रन्वयदीपिका नाम को टोका है। पंडि श्रानन्दराम ने प्रतिलिपि की भी ।
श्रीमन्मंगलमूर्तिमार्तिशमनं त्या विवाहः । शब्दब्रहामनोरमं सुगुणकलाविर जात्मनः ।
श्रन्तिम – मुसन्धवास्तु विलोभव काव्येन भव्येरतिमादधातु । चातुर्यमायाति यतः कविले नाश तथा पाक जातमेति ॥
इति श्री सूर्यकवि कृता रामकःया काव्यस्यान्नयदीपिका नाम्नी टीका संपूर्णा ।
भाग-संस्कृत |
२४ वरांगपरिय-- भट्टारक समान देव । पत्र संख्या ६७३ साइज १२३४५ समाषासंस्कृत | त्रिषय-चरित्र । रचना काल -X | लेखन काल १८६३ ग्राबाट बुदी ५ पूर्णा । वेष्टन नं० ३७० ।
विशेष – जयपुर के शतिनाम नेत्यालय में विवध श्रमृतचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी ।
२८५. वासवदत्ता - महाकवि सुबंधु । पयसंख्या - १६ | साह - १०६४४२ - संस्कृत ! विषय-काव्य । चना काल -X | लेखन काल- पूबैष्टन नं ०४७६