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[ चरित्र एवं काव्य तेरह से पचीस श्लोफ रूप ख्यिा गिनी ।
मद्रबाटु पनि ई नरिटननी भाषा गई ॥२॥ इति श्री श्राचार्य रजनंद विरचित मद्रबाहु नरिय संस्कृत ग्रंथ ताकी बालबोध वचन का त्रिपै स्वताम्बर मन उत्पति वा पर्यसंध की उत्पति तथा लुकामत की उत्पति नाम वर्ननों नाम चतुर्थ अधिकार पूर्ण भया ॥ इति ॥
२६७. भद्रबाहु चरित्र भाषा-किशनसिंह । पत्र संख्या-३५ । साइज-११४५ इञ्च । भाषाहिदीमय । विषय-चरित्र । रचना काल-सं. १७८३ | लेखन काल-x पूर्ण । वेष्टन नं. ७८ ।
विशेष—क प्रति और है।
२६८. भविष्यदत्त चरित्र-श्रीधर । पत्र संख्या-६६ । साइज- १२४४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । रसना काल-४ | लेखन काल-सं० १५८६ मंगसिर पुदी १० । पूर्ण । वेष्टन नं० २३५ ।
विशेष -- खंडेलवाल जातीय साह गोत्रोत्यत्र साह लाला के वंशज नाथा स्वीमा छीतर आदि ने प्रतिलिपि कराई मी।
२६६. भविष्यवचरित्र-ब्र० रायमल । पत्र संख्या-३८ । साज-१२४८ इन्न । भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-चरित्र । रचना काल-सं० १६१६ । लेखन काल-- 1 पूर्ण । बेष्टम नं० ११५ ।
२७०, भविष्यदत्त चरित्र-धनपाल । पत्र संख्या-११२ । साइज-११४४६ च । भाषा-अपनश । विषय-चरित्र । रचना काल-X । लेखन काल-सं० १६६२ माघ सुदी १२ । पूर्व । वेष्टन नं. १६५ ।
___ विशेष-सं० १६६२ वर्षे माघ सुदी ११ गुरुवासरे रोहिणीनक्षत्रे श्री मूलरांधे लिखितं खेमकरग्य कागम्य हाजीपुरनगर।
एक प्रति और है लेकिन वह अपूर्ण है।
२७१. भोजप्रबंध-परित अल्लारी । पत्र संख्या-२६ ! साइज़-१०x४६ इश्च । भाषा-संत । विषय-चरित्र । रचना काल-X । लेखन काल-XI पूर्ण । वेष्टन नं० २६८ |
विशेष-श्लोक संख्या ११०. प्रमाय है।
२७२. महीपालचरित्र-नथमल । पय संख्या-७० | साज-१२३४६ इञ्च माषा-हिन्दी गद्य । विषय-चरित्र 1 रचना काल-सं५ १६ १८ श्राषाढ सुदी ४ । लेखन काल-- | अपूर्ण । वेष्टन नं. ३ः ।
विशेष--प्रारम्स के २ तया यन्तिम पत्र नहीं है ।
श्री नथमल दोसी दुलीचंद के पौत्र तथा शिवचंदजो के पुत्र थे । इनने पं० सदासुखजी के पास रहकर अध्ययन व रचना की थी।