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________________ DABANDHARTH ३४. बनारसीदास कविवर बनारसीदास का स्थान जैन हिन्दी साहित्य में सर्वोपरि है। इनके द्वारा रचे हुये समयसार नाटक, बनारसीविलास, अर्द्धकथानक एवं नाममाला तो पहिले ही प्रसिद्ध है । अभी इनकी एक और रचना 'माझा' जयपुर के यधीचन्दजी के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में मिली है। रचना प्राध्यात्मिक रस से ओत प्रोत है। इसमें १३ पध है।। ३५. चंशोवर इन्होंने संवत् १७६५ में 'दस्तुरमालिका' नामक हिन्दी ग्रंथ रचना लिखी थी। दस्तूरमालिका गणित शास्त्र से सम्बन्धित रचना है जिसमें वस्तुओं के स्वरीदने की रस्म रिवाज एवं उनके गुरू दिये हुये हैं । रचना खडी बोली में है तथा अपने दंग की अकेली ही रचना है । इसमें १४३ पद्य है। कवि संभवतः वे ही वंशीधर है जो अहमदाबाद के रहने वाले थे तथा जिन्होंने संवत १७८२ में उदयपुर के महाराणा जगतसिंह के नाम पर अलंकार रत्नाकर नथ बनाया था। ३६ मनराम वीं शताब्दी के जैन हिन्दी विद्यानों में मनराम एक अच्छे विद्वान हो गये हैं। यद्यपि खनाओं के आधार पर इन समय में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है फिर भी इनकी वर्णन शैली से ज्ञात होता है कि मनराम का हिन्दो भाषा पर अच्छा अधिकार था। अब तक अक्षरमाला, धर्मसहेली, मनरामविलास, बत्तीसी, गुणाक्षरमाला आदि इनकी मुख्य रचनायें हैं । साहित्यिक दृष्टि से ये सभी रचनायें उत्तम हैं। ३७, मन्नासाह मन्नासाह हिन्दी के अच्छी कवि थे। इनकी लिखी हुई मान बायनी एवं लघु बावनी ये दो रचनायें अभी जयपुर के ठोलियों के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में मिली हैं । रचना के आधार पर यह सरलता से कहा जा सकता है कि मन्नासाह हिन्दी के अच्छे कवि थे । मान बावनी हिन्दी की उच्च रचना है जिसमें सुभाषिस रचना की तरह कितने ही विषयों पर थोडे थोड़े पद्य लिखे हैं। मन्ना साह संभवतः १७ धीं शताब्दी के विद्वान थे। ३८. मल्ल कवि प्रबोधचन्द्रोदय नाटक के रचयिता मल्लकवि १६ वीं शताब्दी के विद्वान थे। इन्होंने कृष्णमिश्र द्वारा रचित संस्कृत के प्रयोधचन्द्रोदय का हिन्दी भाषा में पद्यानुवाद संघत १६.१ में किया था । रचना १. हिन्दी साहित्य का इतिहास-पृष्ट २८ )
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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