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विशेष एक प्रति धीर है।
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२४. त्रिलोकसारसंदृष्टिनेमिचन्द्राचार्य पत्र | विषय सिद्धान्त रचना -Xनकाल १००० १२ पूर्ण पेशन ०६४ |
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विशेष-जयपुर में फेवक मानजी ने महात्मा दयाचंद में प्रतिलिपि कराई थी।
२६. द्रव्यसंग्रह नेमिचन्द्राचार्य
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सिद्धान्त । रचना काल -X | लेखन क ल -X |
विशेष—४ अति और हैं।
वेष्टन नं १४३ ।
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२७. प्रति न० साइज - १०x४ इ । लेखन काल-सं० २०२० फागुन सुदी १४ । वेष्टन नं० २०॥
लिपि देवनागरी। विषय
[ सिद्धान्त एवं चर्चा
विशेष हिन्दी और में सो अर्थ दिया है।
२८.
२. द्रव्यसंग्रह टीका- ब्रह्मदेव पत्र संख्या १११ साइज ११८३३सिद्ध। रवन्ना काल-×१४६ मा १२ पूर्ण १०६
विशेष लेखक प्रशस्त मिश्रप्रकार है।
२६. द्रव्य संग्रह भाषा पर्वतधर्मार्थी रचनाकाल
११३२ भाषा-प्रोत विष
संवत् १४१६ वर्षे मादवा सुदी १३ दिने श्रीमयोगिनी पुरे सकल राज्य शिरोमुकूट माणिक्य मरीचिकृत चर म १६ पटस्य श्रीमत् वेरोज खाई साम्रा ममी कुन्दकुन्दाचान्वये सरस्वती भी प्रचार शिष्य नाथू पठन में अंतर गोहिल गोत्रे मरयल वास्तत्र्य परम श्रावक साधु साउ माय बीरो तो पत्र सायु उस मर्या चालही तथ्य पत्र पारीतस्य पुत्र ही गाय खोचा ही मरवा विनापि कर्म या नलदेव पंडित शिखितं
बलाला गं महकनकर्ता
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संख्या २६ साइज - १२९६६
१८४३ फागुन मुदी
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कुलधर मार्या शुभं भवत् ।
माषा-हिन्दी गुजराती मेननं १०
विशेष पं० केशरीसिंह ने असर में प्रतिलिपि की थी।
३०. नामक प्रकृतियों का वर्णन-पत्र संख्या - १६-१० मा चित्रय-सिद्धान्त 1 रचना काल -X 1 लेखन काल - पूर्ण । न नं० ३६१ |
विशेष संस्कृत टीका सहित है |
२१. पंचाशिका टीका मूलकर्ता आ० कुन्दकुन्द टीककार अमृतचंद सूरि ११ संदा ६५ । साइज - १३६० इ-संस्कृत विषय सिद्ध रचना काल-काल-X पूर्व बेननं १४४