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________________ १५८ } [ संग्रह अपूर्ण - चमेस पूजा तीन चौबीसी तीर्थ करों की नामावलि समुच्चय चौबीस तीर्थकर जयमाल - २८. गुटका नं. १३६ । पत्र संरूपा-३ में .. 1 साज-Exe | भाग-सस्कृत-हिन्दी। लेखन काल-- | अपूर्ण । वेष्ट न नं: १२४४ । विशेष थपूर्ण विषय-सूनी कर्ता भाष। पद्मावती पूजा संस्कृत चंदनभस्तुति (चन्द्रप्रभु जिन ध्यायज्यौं । मात्र हो चंद्रप्रभ जन ध्यायज्यों ॥ टेक पंच बधावा आदिनाथ स्तुति धारती विनती " पद विनती अपूर्ण ले. का. सं. १७७७ मंगसर मुदी लै. का.सं. १७७४ पौष बुदी दर्शनपाठ भक्तामर स्तोत्र माननुगाचार्य सौख गुरुजनों की कल्याणदिर माषा बनारसीदास ले. का. सं० १७१५ यसोज सदी ४ देवपूजा , ले० का० सं० १.६६ श्रावण बुदी २ विशेष-गुलाबचन्द पारनी की पोभी हैं । सांगानेर में प्रतिलिपि की गई थी। +२६. गुटका नं० १४० । पत्र संख्या-१० से १२० । साइज-५४६ इछ । भाषा-हिन्दी-संस्थत । सेखन काल-। पूर्ण । श्रेष्टन नं० १:४५ । सापा विशेष विषय-सूची समयसार भाषा + क्तामर तोय एवं पूजा बनारसीदास हिन्दी संस्कृत | ।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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