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संप्रह
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परमानंद स्तोत्र नमीत्र के दश मवांतर ब्रह्म धर्मचि
विन्दो अन्तिम पाट निम्न प्रकार है।
दीगर में भासन कीधी भासी जेनर नारी जी। श्रीघ मंगल कारण कीधी सग धर्मरुचि ब्रह्मचारीजी ॥ निर्वाण काण्ड गाया
प्राक्त लयु सहस्त्र नाम विकापहार स्तोत्र
धनजय वडा कल्याण
हिन्दी तीर्थंकरों के गमे जमादिक अध्यायों की तियां दी। पल्प विधान गरुमक्ति स्तोत्र
प्राक्त यामीकार महिमा पल्प विधान कथा
संस्कृत
२६. गुटका नं. १३७ । पत्र सहिया-४४ ३ साइज-६३xन पूर्ण बेन नं. १२४२ ।
| साषा-हिन्दी । लेखन काल-X ।
पत्तों
विषय-सूची
भाग
विशेष पंच मंगल
रूपन्द तीन चौवीसी एवं मोस तीकरों को नामावलि गिनती संग्रह बारह भावना
भूधरदास वज्रनाभि चक्रवर्ती की वैराग्य मावना
५२७, गुटका ० १३८ । पत्र संख्या-5 से ४ । साइज-2x., इम्ब । भावा-हिन्दी-संस्कृत । देखन काल-XI पूर्ण । वेष्टन नं ११४३ |
विशेष
विषय-सूची
कर्ता
भाषा पूजा संग्रह
संस्कृत विशेष-देव पूजा वोन विरहमान सिद्ध पूजा श्रादि का संग्रह हैं। समुच्चय नौनीस तीर्थकर पूजा अजयराज हिन्दी
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