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________________ संपह [१६ सावा विशेष सपथ है। . २० ५५ हैं। पद विषय--सनी नमीश्वर विनती पुण्य. पाप जग भूल पच्चीसी भगवतीदास ४६ दोष रहित श्राहार वर्णन - जिन धर्म पच्चीसी मगबत्तौदास पदा संग्रह जगतराम शोभाचन्द (भज श्री रिवन मिनिंद क') पद जिणदास (जैन धर्म नहीं करना नरदेही, पाई. ). . औदनार (अश्वसेन राय कुल मंडन उग्र वंश अवतारी) सप्त व्यसन कवित जिनके प्रभु के नाम की मई हिये प्रतीति । विरूनराय देनर मजे नरक बास मयमीत।। सोलह स्वप्न (स्त्रप्न बत्तीसी) भगवतीदास विशेष–अन्तिम-निज दौलत पाँचै मया हरै दोष दुख रासें ।। मरत नकवी के १६ स्वप्नों का वर्णन है। . से. .से.१८१.. ( समरि जिनंद समरना है निदान) । बहदाला बुधजन शंभूराम ने प्रतिलिपि की थी। ननद भौजाई पानंदवर्धन का भागढा चतुर्विशति स्तुति विनोदीलाल पद संग्रह बनारसीदास एवं पूधरदास माईस परीषह भूधरदास चरखा चपर चारहखडी
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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