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विशेष-विनंती संग्रह है।
७३५, गुटका नं०४६ । पत्र संख्या- साज-११४१३ च । भाषा-हिन्दी.। लेखन काल-x। पूर्व । वेष्टन नं. १०११.
विशेष-शिखर विलास, निर्वाणग्रंट एवं बादिनाम पूजा है ।
७३६. गुटका नं. ४७ । पत्र संरूपा-३८ : साइज-: x ३६ माया-स्कृत | लेखनकाश-स. १८८ १ | पूर्व। बेष्टन नं० १.१३ (क) ।
विशेष-पूजा संग्रह है।
७३७ गुटका नं. ४ । पत्र संख्या-१६ । साज-६x६ । माषा-हिन्द संस्कृत-प्राक्त । | समान शास-X । पूर्व । एन १.१६)।
विशेष-पूजोत्री, यशोश्रस्चरित्र रास (सोमबत्तरि) तपा स्तोत्रों का संग्रह है।
७:. गुटका ०४६ । पत्र संख्या-१६७ । साज-xER | माषा-संस्कृत हिन्दी । लेखन काल| १७६५ । पूर्ण । वेष्टन नं० १०१३ (ग)।
विशेष पुख्यतः नित्य नैयशिक पूजाओं का संग्रह है।
७३६. गुटका नं.३० । पत्र संख्या-२० । साज-५६४५३ च । माषा-संस्कृत-हिन्दी । लेखन कास-x | पूर्ण । रेन ने. १०१४ ॥
विशेष-कम्याण मन्दिर स्तोत्र को सिद्धसेन विचाकर कृत लिखा है। स्तोत्र एवं पात्रों का संग्रह है। प्रजयराज पाट कृत पत्र १३१ पर एक रचना वित् १७१३ की है जो पाक.सास्त्र सम्बाधा है । रचना का बादि अंत भाग निम्न प्रकार है।
शारंभ-श्री बिनजी को कई रसोई । ताको सम्पत बहुत सुख हो ।
'तुम रूसो मत मेरे .समना । खेली महुषिधि घरके अगना ।। देव अनेक बहोत खिलाये। माता देखि बकृत सुख पावे ॥१॥
‘मभ्यमें —धिमक चणा मिया बात मला । हलद मिरच दे घृत में तला ||
मेसी रोटी अधिक बनाई । बारीगो त्रिभुवन पति राई ॥२४॥ अंतिम---प्रजैराज सह किया बखाय) मूल चूक मति हसौ मुजाय ।।
संवत सत्रासै प्रेणायै। जेठ मास पूरण। हौ ॥५॥