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________________ १२० ] समरौ संकर दोय कर जोखि, मी सुर तेजीसौं कोधि। सदगुर कह लागौ पाय, मुलौ अखिर घौ. समुझाय ॥४॥ सोलासैर तोडौतरै जाणि, चंद कमा ज्यौ चदै परमाणी । मै म्हारी मति साफ कहु, अखिर मात्र पदा सो लहु ॥५॥ दोहा-फायण मास वसंत रिति, दुतिया सम गण सति । चंद मा प्रारम्भ कोयौ धूरौ वृधि तुरंत ॥६॥ प्रामानपुरी अपिदिसि पछिम दिसा गिरनारी। वेह संजोग असी रम्यौ चंद परमला नारी || अन्तिम-भाव रेखो अचपला जॉगि । तीजी और परमला भोग । याकै सत्य सारथा सब काज, विलसै चंद प्रापणौ राज ॥ ॥ इति श्री राजा व चौपई संपूर्ण ॥ पूर्ण बीस विरहमान तथा । तीस बीबासी के नाम तीन.लोक कमान १३ २३२ से ३६५ तक बेलि के विषै कमन हर्षकीर्ति (चतुगति की बेलि कम हिंदोलणा विशेष-इस गुटके की प्रतिलिपि महाराम चारसं वाले की पुस्तक से जैपुर में सं० १७६४ में हुई थी। सम्यक्त्व के पाठ अंगो का क्या सहित वर्णन , गध चेतनशिला त , पप पद-उठु वेरो पुत्र देखू' नाभि जिनंदा टोडर ४३३. गुटका नं०४४ । पत्र संख्या-२५ | साx३ इम्च । माषा-हिन्दी । लेखन काल-x। पूर्व । वेष्टन नं ...। विशेष-नरक दोहा एवं पद संग्रह है। ५ । माषा-हिन्दी । लेखन कास-x। ७३४. गुदका नं. ४५ । पत्र संख्या-१५ । साहन-xx पूर्थ । वेष्टन ०.०१०।
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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