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________________ .संग्रह । [ १२५ . विशेष-छीतरमल सेठी ने लिखा। हिन्दी पाशावली ( अवजद केवती) - पुण्यायवयाकोश किशनसिंह जोधराज गोदीको " रचनाकाल सं.१७७३ ७२८. गुटका नं० ३६ | पत्र संख्या-५१ । साज-Ex६३ । माषा-हिन्दी । लेखन सास-X1 पूर्ण । वेटन नं. 11.1 विशेष-पत्र २६ तक रूपचन्द के पदों का संग्रह है इसके बाग जगतराम तथा रुपचन्द दोनों के पद हैं। करीब २०० पद एवं भजनों का संग्रह है। __७२६ गुटका ४७ । अ संस्था- I NIMA-2x५६इ । माषा-हिन्दी लेखन काल-सं० १८२३ ज्येष्ठ पुदी २ । पूर्ण । बेष्टन नं १००४ । विशेष—मृगीसंवाद चर्यन है। २५७ पच संख्या है । रचना का अादि धन्त माग निम्न प्रकार हैश्रादि पाठ-सफल देव सारद नमी प्रणमा गौतम पाय । कथा करू र लियामणी सदगुरु तणौ पसाय ॥२॥ जंबू द्वीप सुहामणी, महिधर मेर तंग । जहिथे दघि दिसि मलौ, भरत क्षेत्र सुचंग ||२|| अन्तिम पाठ-पणि समै पायौ केवली; चा चरण वचन मुनि भणी । तीनि प्रदरूपया दोधी सार, भाम उपदेस पुण्यो तिष वार ॥२५६॥ दोहा-दो मेद धरमा तणा मुनी प्रावक कार देत । मन वच काया पालता, दो, लोक मुख देत ॥२५७॥ इति श्री मृगीसंवाद चौपा कया संपरसा । लिखित सेवाराम राघौदास स्पोधूध । पाथी पंडित रायचन्दजी 4. सिख पं. चोख चन्दजी वासी टौंक का की सू देउरा ख्यौंधूका मये । मितो जेठ सुदी २ सोमवार संपत् १८२३ का । ७३०. गुटका नं०४१ । पत्र संख्या-२३४ । साइज-६४५ | माषा-हिन्दी । लेखन काल-x | पूर्ण । बेधन १०.५ । · विशेष-मुल्य २ पाठों का संग्रह निम्न प्रकार है। कर्मा का नाम भाषा विषय सूची नवतत्व वर्णन विशेष . हिन्दी अर्भ दिया हुआ है। मात
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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