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________________ Con ११] [ संग्रह समयसार नाटक बनारसीदास के रूकमणी बोल रचना काल सं० १६९३ । से 41.स. १.५ धीराज राठौड़ हिन्दी सपना काल स. १६.४ । ० काल सं.२०५४ विशेष-हिन्दी टेका सहित है। (२) शलाजत शुद्ध करने की विधि । 1) फोडे फुसिमों की श्रौषश्च । १३घोड़। के हवाद' रोग की औषध । सिंदूरमकरम नारसीदास हिदो रचना काल यि ११ लेखन रा०२:१२ विशेष - रामसिंह ने मधुपरा में प्रतिलिपि को पौ। ७१६. गुटका नः २५ । पत्र संस्थ३४ ANA-१x६५ भाषा-हिन्दी प्राक्त । पूर्ण । श्रेष्न विषय-सूची माषा विशेष वसेन प्राकृत प्रारधिनासार संभोधपचासिका ११५ गाया है। योगीन्द्रदेव अपरश परमात्मप्रकाश दोहा गोगसार प्राप्त पुष्पय दोहा बादशानुप्रेक्षा जयमाल ग्रह समयसार मनारसीदास हिन्दी बनाविलास " ले का० सं० १७० मंगसिर सुदी रचनाकाम १ लोकसार चौपाई मुमतिमीति प्रारम्भ-मुमतिमाप पंचमी जिनाय | सरसति सदगुर संघपाय। त्रिलोकसार पोपाइ कहु । तेहि विचार मुखौ तम्हें सह ॥१॥ श्रलीकाकास माहि के लोक । अधोमध्य उर्ध छै योक ॥ मध्ये मयो लोकाकास | अलोक माहि केवल बाकात ||
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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