________________
१०८ ]
[ स्तोत्र ६८३. समंतभद्रस्तुति ( वृहद् स्वयंभू स्तोत्र )-समतभद्र । पत्र सरन्या-१४ । साइज-११३४५३ रश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचना काल-X | लेखन काल-X । पूर्य । वेष्टन नं० २६४ 1
६८४ साधु बंदना .... . ..। पत्र संख्या-| साइज-१ ० ६४४ हन । माषा-हिन्दी विषय-स्तवन । रचना काल-X | लेखन काल-सं० १७६१ । पूर्ण 1 वेष्टन नं० १.७३ ।
६८५. सामायिक पाठ"""""""। पत्र संख्या-१ साज-७४५ इन्च । माषा-प्राकृत-संस्कृत। विषय-स्तोत्र । रचना काल-X 1 लेखन काल-x ! पूर्ण । वेष्टन नं० ५४ । विशेष-गुटका साइज है तथा निम्न संग्रह और है:
निरंजन स्तोत्र-पत्र संख्या ३ सामायिक–पत्र संख्या चौवीस तीर्थकर स्तुति- पत्र संख्या-६४ से २५ निर्वाण काण्ड गाथा-पत्र संख्या-२५ से २६
६८६. सामायिक पाठ" " "| पत्र संख्या-६१ । साइज-११४४ श्र। भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । रचना काल-४ । लेखन काल-पौष बदी २ । पूर्व । बेष्टन नं. १४८३
विशेष-जोशी श्रीपति ने प्रतिलिपि की थी।
५८७. सामायिक पाठ भाषा-त्रिलोकेन्द्रकीर्ति । पत्र संख्या-६४ | साइज-kxi इ 1 माताहिन्दी विषय-स्तोत्र । रचना काल-सं. १८३२ पैशाख बुदी १४ । लेखन काश-सं. १८४४ । पूर्ण । वेष्टन नं. २ ।
प्रारम्भ-श्री जिन बंधी माव धरि जा प्रसाद शिव बोध ।
जिन वाणी पर जैन गुरु मंदो मान निरोध ॥ सामायिक टीका करी प्रमाचन्द मुनिराज । संस्कृत वाणी जो निपुण ताहि के बो काज |२| जो ज्याकरण बिना लहै सामायिक को अर्थ ।
सो भाषा टीका करू अल्पमती जन अर्थ ॥३॥ अन्तिम-अटरासै चौर बचीस संवत् जाणो बिसवा नीस ।
मास भली भैसाख बखाण किसन पक्ष चोदसि तिथि जाण || शुक्रवार शुभ बेला गोग पुर अजमेर बसै मवि लोग। मुल संघ नंयाम्नाय बलात्कार गण है सुखदाय || गच्छ सारदा अग्वयसार कुन्दकुन्द मुनिराज विचार ।