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________________ +re . कान्य एवं चरित्र ] ५१६, यशोधरचरित्र टिप्पण........"। पत्र संख्या-२६ । साइज-११४४३ च । भाषासंस्कृत । विषय-चरित्र । रचना काल-x | लेखन काल-x | पूर्ण 1 वेष्टन नं. १०६ । विशेष –प्रति प्राचीन एवं जीय है, पत्र गल गये हैं । चतुर्थ संधि तक है । ५१७. यशोधर चौपई-अजयराज | पत्र संख्या १२ से ५११ साइज-६:४५ अ । भाषाहिन्दी | विषय-चरित्र । रचना काल-सं० १.१ : कार्तिक बुदी २ | लेखन काल-सं० १८०० चैत बुद्धी ११। थपूर्ण । बेष्टन • ELI विशेष-दृढमल पाटनी अस्सी वाले ने श्रामेर में प्रतिलिपि कराई थी। ५१८. बड्ढमाण कहा (वर्तमान कथा)-सरसेन । पत्र संख्या-२७ । साइज-X४ ६२ । भाषाअपभ्रश । विग-चरित्र । रचना काल -X । लेखन काल-सं० १५८४ | पूर्ण । बेटन नं० २६१ . विशेष प्रशस्ति निम्न प्रकार है-- संवत् १५:५४ वर्षे चैत्र सुदी १४ शनिवारे पूर्वानावे श्री चंपावतीकोटे राणा श्री श्री श्री संग्रामस्य राज्ये, राह श्री रामचन्द्र राज्य, श्री मूलसंधे बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पत्ननन्दिदेवा तत्प मट्टारक श्री शुभ चन्द्र देवा तल भट्टारक श्रीजिनचन्द्र देवा, प्रमाचन्द्रदेवा ! श्री खंडेलवालान्वये अजमेस गोत्र साह लोहा मार्या धनपद तस्य पुत्र साह प्यौराज भायौं रतना तस्य पुत्र शान्तु तस्य मार्या सांतिवी तस्य पुत्र स्यौन द्वितीय साह चापा मार्या सोना तस्य साइ होला तस्य भार्या । ....... ............... ५१६. घमाणकव्य ( पद्धमानकाव्य --पं० जयमित्रहल ! पत्र संख्या-२ से ५६ । साइजkxi इथ | भाषा-अपभ्र । विषय-काव्य । रचना काल-x | लेखन काल-सं० १५५० वैशाख सुदी ३ | अपूर्ण । वेपन नं. १३..। विशेष - प्रथम पत्र नहीं हैं । प्रशस्ति निम्न प्रकार है संवत् १५५० वर्षे शाल सुदी ३ मेहिणी शुभनाम योगे श्री गैडोली पाने राजाधिराजः अरिमानमर्दनराजश्री चापादेव राज्यपत्र प्रेमाने श्री मूलसं वयात्कारगणे सरस्वतीगच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये म० श्री पद्मनन्ददेवाः तत्पी भ. शुभचन्द्र देवा तत्प भ : जिनचन्द देवा तत् शिष्य गुनि श्री लकीति देव ......... "। - to ५२०. बद्धमानचरित्र- सकलकीर्ति | पत्र संख्या-१२४ । साहज-१२x६ञ्च | भाषा-संस्कृत 1 विषय-चरित्र । रचना काल-X । लेखन काल-X । पूर्ण । वेप्टन में १२६ । ५२१. वरांगचरित्र--बर्द्धमान भट्टारक देव । पत्र संख्या-६० | साइज-११४५ । माषासम्मत | विषय-मरिन । रचना काल-X । लेखन काल-सं० १६३१ फामुख घुदी: । पूर्ण । वेष्टन नं० २४७ ॥ विशेष-सांगानेर में महाराजाधिराज भगवतसिंहजी के शासनकाल में खंडेलवालवंशोत्पन्न भौसा गोष वाले साह
SR No.090394
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages413
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size8 MB
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