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राजस्थान के जैन संत-व्यक्तित्व एवं कृतित्व
जनम महोब वली तिहां जोईइ ।
मर्म गर्म कल्मारक खोइई ॥ १४ ॥
विचारि बिचारि वोजि वारि किम नीकलते गर्भमली । उदारि उन्नत स्थूलत परिशात श्रवर कहु एक कलितफली ।
नर नरकावासी कम्मा नविन देण शीता सुरपति लक्ष्मण नरपति नवि काड्या दृष्टोतल घणा ।। १५ ।।
बली नाल त्रुटि प्रायु खुटि फिमहं जीविते वली 1 जे सुफल आंनू सरस लांबु अनेथि हृष्टि कम भली
उदर कमलि गरभ ज मलि नाल मार्ग सहलहि । पाप पाक नाल वा (स) कि गर्भ पातकर सहकहि ॥१६॥
रोषि रोपी रोपनि प्पि बाप व अन्येधि थी प्रन्यत्र लेता गरभ कुरण निषेधए ||
भ्रष्ट नष्ट ष्टांत दास्ती लोकनि थिर कारइ । वर वीरवाणी विचार करता तेति वली बारइ || १७||
रोप सम सहु माय जागु गर्भ फल सम साभलो | अथ यी अन्थ धरती कोरण कहिलो नीमलो ॥
दोइ लात दूषण पाप लक्षण जिननि संभारि | अभाखि पाम दाखि शास्त्र ते किम तारइ ||१८||
जिननाथ सबसि करण उपर खोल खोसि गोवालीया | असम साहस साम्य मुकी जिन्ह छू बंगालीया ||
बच रूप सरीर भेदी लीला सन क्रिम सुच्चइ । दोइ वीस परीसह प्रतिहि दुसह जिन्न कहो किम इ ॥ १९३॥
राज मूकी मुगती शंकी देवदूते किम घरि
इन्द्र अपि थियापि शुरू होइ ले हम कर ||
मुद्र समता घरइ ममता यस्त्र बीटि सहु सुरिइ । हारि नामा अचेलभामा परिसह किम जिन मरण २२०॥