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________________ महावीर छंद' प्रणमीम वीर विबुह जण रंजरण, मदमह मान महा भय मंजण । गुण गण वर्णन करीय वखारण, यती जम योगीय जीवन जाए । नेह गेह शुह देश विदेहह, कुडलपुर बर पुद्द विसुदेहह । सिद्धि वृद्धि वर्द्धक सिद्धारथ, नरवर पूजित नरपति सारथ ॥१॥ सरस सुदरि सुग्रण मंदर पीयु तसु प्रयकारिणी । मागि रंग अनंग सगति सयल काल सुधारिणी ।। दर अमर अमरीय छपन कुमरीय माय सेवा सारती। स्मान मान सुदान भोजन पक्ष दार सुकारती ।।२।। धनद यक्ष सुपक्ष पुरीय रयण अगरिश वरपती । सव धम्म रम्म महप्प देखीय समल लोकने हस्सतो ॥३॥ मृगयनयगी पछिम रयरणी सयन सोल सुमाण । विपुल फल जस सकल सुरकुल तित्थ जन्म वखारणइ ।।४।। दीटो मद मातंग मनोहर, गौहरि हरि प्रीउदाम शसी । पूपाय जझस युग्म सरोवर सागर सिंहासन सुनसी ।। देव विमान असुर पर मणिकद निरगत घुम कशामुचयं । पेस्त्रीय जानीय पूछीय तस फल पति पासि संतोष भयं ॥५॥ पुष्पक पति अवसरीयो जिनपति ।। इद्र नरेंद्र कराव्या बहु नति ।। जात महोछव सुरवरि कीधो । ___ दान मान दंपतिनि दीयो।।६।। वाधिइ गरभ मान नाहि निवलोहार करिद सम्व निहार शोक हरि । वरसि रयरण रंगि, घरसह घरद धनद चंगि छपन' कुमारी संग सेव करि ।। पूरीय पूरा रे गात, पुरबि सयल प्रास, हृयोज जनम तास मासि भलो। जाणी सयल इद्र-भावि विगद तंद्र, आवीय सुमति मंद्ररणागा निलो ।।७।। AIIMALAIMIMIRMWAmAamaana १. भट्टारक शुभचन्द्र एवं उनको कृतियों का परिचय पृष्ठ ९३ पर देखिपे । MORARIANDARIAHIRAAAAHILAMWAMALAImwwww
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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