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प्रादि में प्रयोग करने पर उन्हें न चल सौष्ठव प्रदान करती हैं अपितु वक्ता एवं श्रीता दोनों के लिए शिक्षाप्रद सिद्ध होती हैं।
प्रस्तुत पुराण मूक्तिकोष में ५ विषयों से सम्बन्धित १०३२ सूक्तियां संग्रहीत हैं जो जनसाहित्य के प्रमुख पांच पुराणों यथा महापुराण, पद्मपुराणा, हरिवंशपुराण, बीर बीमामयरिस (पुराण) एवं पाण्डवपुराण के गर्भ में प्रतिनिथीं।
जैन विद्या संस्थान के विद्वानों ने इन्हें संग्रहीत करने का जो कार्य किया है यह उसी प्रकार का दुष्कर कार्य है जिस प्रकार गोताखोर गहन परिश्रम करके समुद्रतल से रत्नों को निकाल कर ले आता है।
हम इन विद्वानों को बधाई देते हैं, साथ ही जनविद्या संस्थान की विद्यारसिक समिति और संस्थान की संस्थापिका दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी की प्रबन्धकारिणी कमेटी दोनों धन्यवादाई हैं ।
(डॉ.) वरमारीलाल कोठिमा सेवानिवृत्त रोडर, जम, बौद्ध धर्णन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
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