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- न्याय के अनुसार चलनेवाले पुरुषों को स्नेह का अनुवर्तन करना
उचित नहीं है। - अन्याय करना ही महापुरुषों का पराभव है, अन्याय का त्याग नहीं । दया से कोमल परिणाम होना न्याय है और प्राणियों का मारना अन्याय है।
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- शूरवीर और बुद्धिमान् को विषाद कभी नहीं होता । .... जिनके शरीर में धाव नहीं लगते ऐसे शूरवीरों का पराक्रम बढ़ता
---- बलिष्ठ और शूरवीर शासक कभी भी भयभीत पर प्रहार नहीं करते।
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...- शूरवीर बड़ी-बड़ी विपत्तियों में भी विषाद नहीं करते ।
- युद्ध में पीठ नहीं दिखाई जाती। ... बलशाली कठिन कार्य में भी उद्यम नहीं छोड़ते । .. वीर मनुष्यों का कृतकृत्यपना शत्रुओं के पराजय से ही होता है,
नादि की प्राप्ति से नहीं। - प्राणों का परित्याग अच्छा किन्तु शत्रु के आगे झकना अच्छा नहीं। -- पृथ्वी वीर भोग्या है। -- 'उस पराक्रम से कोई लाभ नहीं जिससे कि भयभीत प्राणियों की - रक्षा नहीं होती। ... पराक्रमधारी पुरुष प्रस्थान करने के पश्चात् फिर वापस नहीं लौटते ।
..... परिग्रही मनुष्यों के चित्त की शुद्धि नहीं हो सकसी।
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