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________________ tumkinerem- d यदि कोई तिर्यंच, देव या मनुष्य किसी मुनि पर उपसर्ग करने पर प्रमाद से ब्रह्मचर्य भंग हो जाय, मैथुन कराले तो प्रतिक्रमण पूर्वक पंचकल्याणक, यदि मुनि कामविकार से मन वचन काय से फिर भी मैथुन करे तो पुनर्दीक्षा (उपस्थापना) प्रायश्चित्त है। . . . . . . . . . . . .. . . . . . . यदि कोई मुनि किसी आर्यिका से एक बार मैथुन सेवन करे तो प्रतिक्रमण सहित पंचकल्याणक, यदि कोई मुनि अनेकबार किसी आर्यिका से मैथुन सेवन करे तो पुनर्दीक्षा, इस बात को बहुत से लोग जान लेने पर या देख लेने पर भी वह न छोड़े तो देश निस्कासन प्रायश्चित्त है। यदि एक बार उपकरणादि पदार्थों के संग्रह की इच्छा होने पर एक उपवास, यदि एक बार ममत्व से उफ रखने का अवा, पदि अन्य लोगों से दाने दिलावें तो पंचकल्याणक, यदि सब परिग्रहों को रक्खें तो पुनर्दीक्षा प्रायश्चित्त है। जो मुनि रोग के कारण एक रात्रि में चारों प्रकार के आहार का खाना पीना करने पर तीन उपवास, यदि रोग के कारण एक जलग्रहण करने पर एक उपवास, यदि किसी के उपसर्ग में कोई मुनि रात में भोजन पान करे तो पंच कल्याणक, यदि कोई मुनि अपने दर्प से अनेक बार भोजन पान करे तो पुनर्दीक्षा प्रायश्चित्त है। यदि कोई मुनि टेढ़े मार्ग की एक कोश से कम प्रासुक भूमि में गमन करे तो एक कायोत्सर्ग करे यदि वे सीधे मार्ग की एक कोस अप्रासुक भूमि में गमन करे तो एक उपवास प्रायश्चित्त है । यदि कोई मुनि वर्षा काल में तीन कोस तक प्रासुक भूमि में गमन करने पर एक उपवास, यदि वर्षाकाल में दिन में दो कोस अप्रासुक मार्ग में गमन करने पर एक उपवास, यदि कोई मुनि वर्षा काल में रात्रि में एक कोस गमन करने पर चार उपवास, यदि कोई मुनि वर्षा काल में रात्रि में एक कोस गमन करने पर चार उपवास, यदि शीतकाल में दिन में प्रासुक भूमि पर छ: कोस गमन करने पर एक उपवास, यदिशीतकाल में दिन में छ: कोस अप्रासुक भूमि में गमन करने पर एक उपवास, यदि शीतकाल में रात्रि में चार कोस प्रासुक मार्ग से गमन करने पर एक उपवास, यदि गर्मी के दिनों में नौ कोस प्रासुक भूमि प्रायश्चित्त विधान • १२९
SR No.090385
Book TitlePrayaschitt Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagar Aankalikar, Vishnukumar Chaudhari
PublisherAadisagar Aakanlinkar Vidyalaya
Publication Year
Total Pages140
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size3 MB
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