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शुद्धि
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। १८ ) शुद्धि-अशुद्धि-पत्र पंक्ति अशुद्धि
करती हुई लक्षणभून खुखका दहकी
पंक्ति
१८
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अशुद्धि कृतज्ञाता हुवाते विशुद्धि अबिकार प्रन्य प्वतंत्रपना आर इन्द्रियग्राम आत्मके द्वारा व्वापकर
कृतज्ञता बताते विशुद्ध अविकार अन्य स्वतंत्रपना और इन्द्रियज्ञान आत्माके
शुद्धि करता हुवा लक्षणभूत सुखका देहकी मिट न जौंक जाने से
मिट गौंच
० ०PY FM
छाने
१४०
१४१
क्षीयमान निष्क्रिय अकम्परूप से
व्यापकर
१४१ १४१ १४२ १५१ १५२
आदत
आद्रत
and
होता
१६४
होता
होती होती त्रिकाल
क्षीयमाण निष्क्रिय अवम्परूप से परिणाम उयपदविवरण सभ्यास था चंद्र जिसमें ध्यय अनस्थित होना उसा ग्राह पयायाथिक विध
अब
१७० १७५ १६७ २०२ २०५
800008050000000000000000000300
उभयदविवरण अभ्यास गाथा चंद्रा जिसने व्यय अवस्थित होता उसी ग्राह्य पर्यायार्थिक विरोध हवे छेदात्
तिकाल अग जानना पति सप्रवेश समत करम्बित दिकल्प प्रबुद्धि केधली वियोगज
जानता अति सप्रदेश समस्त
5 00000
२१६ २१६
२१७
विकल्प अबुद्धि केवली वियोग
चेदात्
२४२ २४८ २५२ २५२
धम
धर्म
२५३
कारकरम्बित
पर्या
वर्ण पर्याय गमन
गगन
६७ ६७
२५३ २५६ २५७ २६२
था
या बाली
वाला
૧૦૧
२६
पुप्गल
पुद्गल