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प्रव० सारोद्धारे
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सत्तेव समुग्धामा छप्पजत्तोओऽणहारया चउरो । सत्त भयहाणाइ लम्भासा अप्पसत्थाओ ॥५३॥ भंगा गिहिव्वयाणं अट्ठारस पावठाणगाइपि ।। मुणिगुण सत्तावीसा इगवीसा सावयगुणाणं ॥५४॥
रिच्छीणुकिष्टा गम्भठिई तह य सा मणुस्सोणं । गभस्स य कायठिई गम्भट्ठियजीवाहारो ॥५५॥ रिउरुहिरसुक्कजाए जत्तियकालेण गम्भसंभूई । जत्तियपुत्ता गम्भे जत्तिय पियरो य पुत्तस्स ॥५६॥ महिला गम्भअजोगा जेत्तियकालेणऽबोयओ पुरिसो। सुक्काईण सरीरहियाण सम्वाण परिमाणं ॥ ५७ ॥ सम्मत्ताईणुत्तमगुणाण लाहंतर जमुक्कोसं । न लहंति माणुसतं सत्ता जेऽणतरुव्वा ॥५८ ॥
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