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________________ प्रथमोऽध्यायः __राशि, योनि, नाड़ी, गण आदि जानने का शतपदचक्र-- गरा नाडीचन्द व्यय रिवान भरही चतुष्पद | गज मंगलममुन्यामध्य। उत्तर पौर १मंगल कृतिका । पूर्व प्रद्योत শিয়ান मा... ..." वो..२वृष 1३श्य মুফায় २ शुक २दुध मनोहर की.२ मिथुन २शुद्ध | २ मनुष्य मिथुन | शूद्र | मनुष्य श्वान | श्रीवरस ३ मिथुन | ३ शूद्र | ३ मनुष्य मा १ ब्राहारण १ अलघर ३ बुध १ चन्द्र विभक १ | ब्राह्मण | बलवर करा पूर्व | चिन्तात्म অলং সাজা অনুমা त्य | पूर्व शान्त मवा पनघर पहा | सूर्य [अंत्य दक्षिण] पौर सिंह | छत्रिय वनचर ये अनुय मध्य दक्षिण प्रद्योत १२ उत्तरा १ सिंह | १ क्षत्रिय | १ अनवर ३ कन्या | ३ वैश्य |३ मनुष्य प्राध दक्षिण | श्रिया बन्द ३ कुर कन्या | वैश्य । मनुष्य भैस प्राय दक्षिण | मनोहर iiiicketnycosunitainiaadmi
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
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