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________________ वाजिन् पु. परवथर, घोडा का पर। विशाल पु. वैराज्यादि माठवां प्रासाद | वानरेश्वर पु. हनुमान देन । विश्व म, जगत्, तेरह को संस्था । दापी स्त्री. वावडी। विश्वकर्मन् . जगत की रचना करने वाला देवदामन म. मंडप के व्यास के प्राधे मान के उदपवाला शिल्पी गुम्बद, प्ररथ का देव, जगती के प्रागे का विष्णुकांता स्त्री. भौषि विशेष अपराजिता बखाणक मंडप । विस्तीर्ण वि. विस्तार वायव्य पु. बायकोना वीतराग पु. रामरहित जिरदेव । बायस'. ध्वांशपाय, कौमा। वृत्तवि, मोनाई। वाराह पु. मंडप के व्यामा के 3 मान के उपयवाला वृद्धि वि. चढ़ाना । गुम्बद । खरशिला का देव । वृष पांचवीं पाय, नंदीगण, वृषण । वारि न. पानी, जल। वृषभध्वज पु. केसरी जाति का २४ प्रासाद । बारिमार्ग म. दीवार से बारह नोकला हुमा खांचा ।। वेदपु. चार की संख्था। वारुणन, शतभिषा नक्षत्र, . वेदिका स्वी.पीठ, प्रासाद सादिका प्रासन। वासवान. अमिष्ठा नक्षत्र । वेदी श्री. राजसेन के ऊपर का पर, पीठ वास्तु पु. न. निवास स्थान, गृहारंभादि में विशेष प्रकार वेश्मन् म, मंदिर, घर । की देवपूजन विधि। गुर्ग पु. केसीका मा १७ वा प्रासाद, रत्न विशेष । वाहन म. सवारी, गाडी। वैधृति पुसत्यावीस योग में से एक योग । विघ्नेश . गणपति, गणेश । वैराज्य पु. प्रासाद को एक जाति । विजयानन्द यु. बराम्यादि २२वां प्रासाद । वेराटी स्त्री. प्रासाद की कममपत्र बाली दीवार । वित्तथ वास्तु मंडल के देव । वैष्णव, श्रवण नक्षत्र । विदारिका स्त्री वास्तुमएइल के प्रग्नि कोने की देवी। व्यक्त वि. प्रकाशवाला ! विद्याधर पुं. गुम्बद में तृस्म करने वाले देवरूप । ध्यङ्ग वि. टेवा फेवाल पर का देव। व्यजनन पखा। विधि पु. वास्तुमण्डल के देव, ब्रह्मा । व्यतिक्रम वि. मर्यादा से मषिक। विषु पु. पन्द्रमा, एक संख्या ] व्यतिपात पु, ससावीस योग में से एक मोग । विद्ध किं. वेष, कावट। भ्यय पु. माठ की संख्या, सर्व । विपर्यास पु. विपरीत, उलटा। . व्यास पु. विस्तार, गोल का समान्तर दो भाग करने विभव पु. सातवां गय । पाली रेखा। विमान, राज्यादि साता प्रासाद, राजद्वार के पागे व्योमन् न. अन्य, माकार। का बखाणक भएम। श्रीही स्त्री. अब, माय विशेष । विमानना स्त्री. प्रासाद को एक जाति । विमाननागरच्छन्दा स्त्री. प्रासाल की एक जाति ।। शक पु. बौदह की संख्या, इन्द्र। विमानपुष्पका स्त्री. रासाद को एक आदि । शङ्कर पृ. ईशानकोन, महादेव । विलोक्य पुस्खुला भाग। पृ. छाया मापक मं। विवस्वन , बास्तुमएडल का देव, पूर्य । शशावत. प्रासाद की देहली के मागे की भर'चंद्र विशति सं. बीस की संख्या। कपाकारवाली शेख और लतामों मासीमास्ति।
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
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