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________________ प्रासादमण्डने दीवार के छठे भाग का मोटा स्तंभवैध ( ध्वजाधार ) बनायें। ध्वजादव को मजबूत स्थिर रखने के लिये बगल में एक स्तंभिका रखी जाती है। उसका उदय स्तंभवेध से आमलसार का उदय तक रक्खें । उसकी मोटाई प्रासाद के मान से हस्तांगुल (जितने हाथ हो उतने अंगुल) रको भौर उसके ऊपर कलश रखें। ध्वजादंड और स्तंभिका इन दोनों का अच्छी तरह बजुबंध करें। AL शिखर का २४ भाग करके २२ वा भाग में ध्वजदंड और स्तंभिका का स्थान शिखर का छह भाग करके ऊपर के घट्ट भाग के तीसरे भाग में वजदंड का स्थान AHAdation STEM m धार ध्वजावंड का उदयमान दण्डः कार्यस्तृतीयांशः शिलातः कलशान्तकम् । मध्योऽष्टांशेन हीनोऽसौ ज्येष्ठपादोनः कन्यसः ॥४॥ १, 'गिलास'
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
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