SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के अधिष्ठाता मानुकीर्ति सिद्धान्तदेव को समर्पित किया। दानशासन की व्यवस्था का मार बल्लालदेव के प्रधान मन्त्री मुसरिकेशव को सौंप दिया गया। मन्दिर के लिए चार स्थानों के वाणिज्य निगर्मी तथा मुम्मुरिदाई ने भी दान दिये । शंकर सामन्त का सारा परिवार परम जिनभक्त धा। उसके पुत्र समन मुच्या ने नारखण्ट और विशेषकर बन्दलिके-तीर्थ की उन्नति में अपने पिता की ही भौति योग दिया। राजा सल्लालदेव के प्रसिद्ध मन्त्री कम्पट-मल्ल-दण्डाधिनाथ ने तथा उसके सचिव सूर्य-चमूपति ने बन्दतिके-शान्तिनाथ तीर्थ की छहुत प्रेम के साथ रक्षा की थी। उक्त सामन्त शंकरगावुण्ड ने 1176 ई. में गावणिगवंशीय कैरेयमसेष्टि के पुत्र देविक-सेट्टि के साथ मिलकर एलम्बलिल में भी एक शान्तिनाथ जिनालय बनवाया था, जिसके लिए उन दोनों ने गुरु भानुकीर्ति को भूमि का दान दिया था। 150 :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy