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________________ [ ४६२ ] * प्राकृत व्याकरण # •omeoneawwwesexstrorecorrtoonsernamroseworreekrrowroooooransar का पुत्र । (३) पुण्य कर्मा = पुश-कम्मो - पवित्र कर्म करने वाला । (४) पुण्याई - पुआहे - मैं पवित्र हूँ।४३०५॥ गो नः॥ ४-३८६ ॥ पैंशाच्या कारस्य नो भवति ।। गुन-गन-युत्ती । गुनेन ।। अर्थः-संस्कृत भाषा के शटरों में रहे हुए 'यार' के स्थान पर पैशा बो-भाषा में 'नकार' की प्राप्ति होती है । जैसे:-(१) गुण गण-युक्तः =गुन-गन युती = गुणों के समूह से युक्त । (२) गुणेन = सुनेन - गुण द्वारा-गुरु से ॥४-३०६ ।। तदोस्तः ॥४-३०७ ।। पैशाच्यां तकार-दकारयोस्तो भवति ।। तस्य । भगवती । पध्वती : मतं ॥ दस्य । मतन परवसो । सतनं । तामोतरी ! पतेतो , अतनक । होतु । रमतु !! तकारस्यापि तकार विधानमादेशान्तरबाधनार्थम् । तेन पताका बेतिसो इत्याद्यपि सिद्धं भवति ।। अर्थः-संस्कृत-भाषा के शटदों में रहे हुए 'नकार कर्ण और दकार वर्ण के स्थान पर पैशाचीभाषा में 'तकार' की प्राप्ति होती है। यहां पर सकार' के स्थान पर पुनः 'नकार' का हो आदेश-शामि बतलाने का मुख्य कारण यह है कि पाठक सूत्र संख्या ४-२६० के विधान के अनुमार तकार' के स्थान पर 'दकार' को अनुपाति न कर । इस निर्देश के अनुमार 'पताका' के स्थान पर पताका ही होगा और 'वतिमा के स्थान पर 'स्सिा ही होगा। मूत्र-सम्बन्धित अन्य जदार इस प्रकार हैं:(१) भगवती भगवत्ती = देवना विशेष; ऐश्वयं शालिनी । (२) पार्वती = पध्वती - महादेवजी का पत्नी; पर्वत-पुत्री। (३) शंत - सतं = सौ का संख्या ।। द' से सम्बन्धित उदाहरण यों हैं:- (१) मदनपरवशः = मतन यरवसी कामदेव क वश में पड़ा हुआ । ( सदनम् = साननं = मकान, घर । (३) दामोदरः - तामोतरी = श्री कृष्ण वासुदेव का एक नाम ! १४ प्रदेशः = पतेसो-देश का एक भाग, प्रान्त-विशेष । (५) वदनकम् = वतन - मुख । ६) भवन = ( होदु ) = होतु - होवे । (७) रमताम् = (रमन) = रमनु = वह खेले ।। ४.३०७ ।। लो ळ: ॥४-३०८ ॥ पैशाच्या लकार स्य सकारी भवति ॥ सी । कुलं जळ . सांज । कम ॐ ॥ अर्थ:-संस्कृत भाषा के शब्दों में रहे हुए 'लकाः' वर्ण के स्थान पर पैशाची भाषा में 'ळ कोर' वर्ण की आदेश प्राति होती है. जैसे:- (१) शीलम = सीळ = शील धर्म, मर्याध । (२) कुलम = कृळे
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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