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________________ [ ४२० ] * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * 00000000000000rrrrrrrrrrrrr100000%rssorrorerrorestros00000+strolom अथवा वह मारा जायगा | खनिष्यते - खम्मिहि वह खोदा जावेगा । खनिष्यात; खरिष्यते - खणिहिर = वह खोदेगा; अथवा वह खोदा जावेगा। "बहुतम्" सूत्र के अधिकार से "हन्' धातु के करि-प्रयोग में अन्त्य "नकार" व्यातनाक्षर के स्थान पर द्वित्व "म" को प्राप्ति विकल्प से हो जाता है। जैसे:-हन्ति-हम्मद अथवा (हणड़ ) वह मारता है । कहीं कहीं पर उन् । रोते से प्रदर्शित "कार" के स्थान पर द्विय "म" का नाप्ति नहीं भी होती है। जैसे. हन्तव्यम् = हन्तवे = मारने योग्य है, अथवा मारा जाना चाहिये । हत्वा = हुन्नण मार करके । हता-हओं = मारा हुआ; इत्यादि । में 'हन और खन्' धातुओं के प्राकृत-पान्तर में प्रयोग-विशेषों में प्राव्य द्वित्व "म्म" का वैकल्पिक स्थिति को जानना चाहिये । ॥४-२४४ ।। भो दुह-लिह-बह-रुधामुच्चतः ॥ ४-२४५ ।। दुहादीनामन्त्यस्य कर्म-भावे-द्विरुक्तो 'भो' वा भवति ।। तत्-संनियोगे क्यस्य च लुक् । वहे रकारस्य च उकारः ॥ दुब्म दुहिज्जइ । लिब्भह लिहिज्जा । चुन्मइ यहिज्जा । रुरूभइ रुन्धिज्जइ । भविष्पति । दुब्भिहिइ दुहिहिइ इत्यादि । अर्थः-प्राकृत-भाषा में 'दुह, लिह, वह, और रुध = (सूत्र संख्या ४-२१८ से) सन्ध धातुओं के अन्स्य व्यञ्जनाक्षर के स्थान पर कम-भाव प्रयोग में द्विरुक्त अथवा द्वित्त्र 'म = (सूत्र संख्या २-६० से} भ' की विकल्प से श्रादेश प्राप्त होती है और इस प्रकार से आदेश प्राप्त होने पर कर्मःण-भावं. प्रयोग संबंधी प्राकृत-प्रत्यय ईअ और इज्ज' का लोप हो जाता है । कणि-भावे अथ में यों इन उपरोक्त घातुओं में की तो 'म' होता है और कभो 'ई अ अथवा इज्ज' होता है। यह भी ध्यान में रहे कि उपरोक्त वह धातु में 3' की प्राप्ति होन पर 'व' में स्थित 'अकार' को 'उकार' की प्राप्ति होकर 'बु' स्वरू। का सदुभाव हो जाता है। इन धातुओं के दोनों प्रकार कार से इस प्रकार है:(१) दुइयते = दुभड़ अथवा वाहजड़ = वह दूहा ( दूध निकाला ) जाता है । (२) लियत लिभइ अथवा लिहि जइ = वह चाटा जाता है । (३) उन्नयने - स्मद अथवा पहिजइ = वह उठाया जाता है अथवा बह ले जाया जाता है। (४) रुध्यते - रुभइ अथवा सन्धि जाई = वह रोका जाता है। इन उदाहरणों को भ्यान पूर्वक देखने से विदित होता है कि 'दुह, लिड, वह और ध" के अन्त्य अक्षर "ह तथा ध" के स्थान पर कमणि-भावे प्रयोगार्थ में "SH'' की आदेश प्राप्ति विकल्प में हुई है । जहाँ "म" नहीं है वहाँ पर "इज" प्रत्यय भागया है । म वयन काल संबंधी उदाहरण इस प्रकार हैं:धोक्ष्यते - दुमिहिइ अथवा दुहिहिइवह दूहा जायगा । इत्यादि ।। ४-२५५ ।। दहो उमः ॥४-२४६ ॥
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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