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________________ 124000000 * प्राकृत व्याकरण * **************÷÷÷00434669 'बच्छेतु' (प्राकृत-पद) की सिद्धि सूत्र संख्या ३-१५ में की गई है। 'सध्ये' 'जे' 'ते' और के चारों रूपों की सिद्धि सूत्र संख्या -१८ में की गई है । ३-१४० ॥ पुरुष प्रथम द्वितीय तृतीय अस्थिस्त्यादिना ॥ ३-१४८ ॥ यस्तै स्थाने त्यादिभिः सह अस्थि इत्यादेशो भवति । श्रत्थि सो । प्रत्थि ते । अस्थि तुमं । अस्थि तुम्हे । अस्थि अहं । अस्थि अहे || = अर्थ :-- संस्कृत धातु 'अ' के प्राकृत रूपान्तर में वर्तमानकाल के एकवचन के और बहुवचन के तीनों पुरुषों के प्रत्ययों को संयोजना होने पर तीनों पुरुषों के दोनों वचनों में उक्त धातु 'अस्' तथा प्रामण्य अथ्यों के स्थान पर समान रूप से एक ही रूप 'अस्थि' को आदेश प्राप्ति होती हैं। उदाहरण इस प्रकार है : - ( १ ) सः भक्ति=सो अस्थिवाह है; (२) ततः श्रथवा ते सन्ति ते अस्थि वे दोनों अथवा के (सब) E; (३) स्वमसि तुमं श्रथ = तू है, (४) गुवाम् स्थः अथवा यूयम् स्थ= तुम्हे स्थितुम दोनों अथवा इम (सत्र) हो; (५) श्रहम् अस्मि = श्रहं श्रस्मि = मैं हूँ और (६) आवाम् स्वः अथवा वयम् रमः = अम्हे अस्थि हम दोनों श्रथवा हम ( स ) हैं । यो 'अस' धातु के वर्तमानकाल के तीनों पुरुषों में और दोनों बचनों में सूत्र संख्या १-१४६, ९४७-१४६ के अनुसार प्राकृत भाषा में निम्न प्रकार से रूप होते हैं: [ २५ ] एकवचन प्रस्थि स और afte मिह और अवि इस प्रकार 'अं' धातु के माकृत भाषा में आदेश मात्र प्राप्त एक रूप शित कर देता है। बहुवचन अस्थि अस्थि हो; म्ह और थि पाये जाते हैं, और केवल आदेश हो तीनों पुरुषों के क्षेत्रों में समान रूप से प्रयुक्त होकर ष्ठार्य की प्र 'अस्ति अस्थि' (किवाद की सिद्धि सूत्र संख्या -४५ में की गई हैं । 'सी' (नाम) को सिद्धि सूत्र संख्या में की गई है। सन्ति ( और स्तः) संस्क्रू के वर्तमानकाल के प्रथम पुरुष के बहुवचनान्त ( और द्विव नान्त क्रम से ) परस्मैपदीय अकर्मक क्रियापद के रूप हैं। इन दोनों का प्राकृत रूप इनमें सूत्र-संख्या ३-१४८ से दोनों रूपों के स्थान पर 'अस्थि' रूप सिद्ध हो जाता है। ही होता है ! 'असि = अस्थि' (क्रियापद) रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १४६ में की गई है।
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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