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________________ * प्राकृत व्याकरण * M400000000本やかわかりやゆかゆかやかやかやか0000000000分かりややややややややややややややややや 400 अर्थ:- सभी प्रकार के शम्मों में सभी विभक्तियों के प्रत्ययों की संयोजना होने पर संस्कृतीय प्राप्तष्प द्विवचन के प्रस्थयों के स्थान पर प्राकृत में बहुवचन के प्रत्ययों की प्राप्ति हुश्रा करती है । इसी प्रकार से सभी धातुओं में सभी प्रकारों के अश्वषा काल के प्रत्ययों को संयोजना होने पर संस्कृतीय प्राप्तव्य द्विवचन-योधक प्रत्ययों के स्थान पर प्राकृत में बहुवचन के प्रत्ययों की प्राप्ति हुश्रा करता है। प्राकृत. भाषा में संस्कृत भाषा के ममान द्विवचन-बोध प्रस्थयों को प्रभाव है; तदनुमार द्विवचन के स्थान पर प्राकृत में बहुवचन का ही प्रयोग हुआ करता है। यह सर्व सामान्य नियम ममो शब्दों के लिये तथा सभी धातुओं के लिये समझना चाहिये । इस सिशान्तानुमार प्राकृत में केवल दो ही वचन है: एकवचन और बहुवचन के कुछ उदाहरण इस प्रकार है:-दौ अथवा द्वे कुरुप्तः= दोणि कुणन्ति = दो करते हैं। इस उदाहरण में यह प्रदर्शित किया गया है कि संस्कृत में कुरुतः क्रियापद रूप द्विवचनात्मक है। जबकि प्राकृत में कुगन्ति क्रिया पर रूप बहुववनाम है; यह स्थिते बतजाती है कि प्राकृत मे द्विवचन का अभाव होकर उपके स्थान पर बहुवचन की ही प्राप्ति होती है। हो अथवा द्वे कुरुतः = दुवे कुणान्त = वेदो दो (कामों) को करते हैं। इस उदाहरण में 'द्वौ अथवा द्वे' पर द्वि ववनात्मक एवं द्वितीया विभक्ति वाले हैं; जबकि इनका प्राकृत रूपान्तर 'दुवे' पद बहुवचनात्मक और द्वितीया विभक्ति वाला है । कुरुतः क्रिया पद संस्कृत में विवचनात्मक है; जबकि प्राकृत में इसका रूपान्तर बहुवचनात्मक है । अन्य दृष्टान्त इस प्रकार है: पिभाक्त-संस्कृत विषचनात्मक पाकृत बहुवचनात्मक तृतीया-द्वाभ्याम् दोहिं = दो से। पंचमी-द्वाभ्याम् होहिन्तो; दो सुन्तो =दो से। सप्तमी यो शेसुदरे में; दो पर। प्रश्वमा हस्तौ हस्था- दो हाथ । द्वितीया-हस्ती हत्था -दो हाथों को। प्रथमा पादौ पाया = दो पर। द्वितीया-पादी पायादौ पैरों को। मथमारतनको स्या =दो स्तन । द्वितीया-स्तमकी थणया-दोनों स्तनों को। प्रथमा-नबने (नषु) नया (पु०)दो अाखे । द्वितीया-नाने (म) नयणा (पु) दोनों आंखों को। यो संस्कृत भाषा की अपेक्षा से प्राकृत-मारा में रहे हुए बचन-संबंधी अन्तर को समझ लेना चाहिये । 'कोण' रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या -१२० में की गई है।
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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