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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित k दुश्शासनः । दूसासणी ॥ मनः शिला । मणासिला । पस्य यलोपे । शिष्यः । सीसो ।। पुष्यः । पूसो । मनुष्यः । मणमो ।। रलोये। कषकः । कासनी ।। वर्षाः । वासा ॥ वर्षः वासो॥ बलोये । विष्वाणः। बीसागो । विष्षक । वी।। पलोपे । निष्पिक्तः । नीसित्तो ॥ सस्य यलोपे । सस्यम् । सासं ॥ कस्यचित् कासइ रलोये। उसः । ऊसो ॥ विश्रम्मः । वीसम्भो ।। वलोपे । विकस्वरः। विकासरो। निःस्वः नीसो ॥ सलोपे। निस्सहः । नीसहो ।। नदीर्घानुस्वरात् (२-१२) इति प्रतिपेवात् सर्वत्र अनादौ शेषादेरायोद्वित्वम् ( २-८६ ) इति द्वित्वाभावः ।। ___अर्थ:-प्राकृत-व्याकरण के कारण से शफार, पकार, और सकार से संबंधित य, र, व, श, ष, स. का पूर्व में अथवा पश्चात् में लोप होन पर कार, षकार और सकार के आदि स्वर का दीर्घ स्वर हो जाता है। जैसे-शकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण - इसमें 'र' के पूर्व में रहे हर स्वर का दोघं होता है। जैसे--पश्यति = पास। कश्यपः = काप्यो । आवश्यक = मायालयं । यहाँ पर 'य' का लोप होकर '' के पूर्व स्वर का रोर्च हुआ हूं। शकार के साथ में रहे उएर केलोप के जवाहरण । जैसे-बिधाम्यति =बीसमा॥ विधामः -पोसामो।। मियम :- मोस || संस्पर्शः = संफालो ।। इनमें ' के पूर्व में रहे हए स्वर का रीर्घ हुआ है। प्रकार के साथ में रहे हुए 'व' के लोप के उदाहरण । जैसे अश्य आसो । विश्वप्तिति = दोससह ।। विश्वास:- वोसासो || इनमें 'श्' के पूर्व में रहे एए स्वर का रीर्घ हुका है। शकार के साथ में रहे हुए 'श' के लोप के बाहरण । जैसे-दुश्शासमः = दूसासको । मनः शिलाभणासिला । इनमें भी '' के पूर्व में रहे हए स्वर का वीर्ष मा है। बकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण । जैसे-शिष्यः = सीसो | पुष्यः= पूसो ! मनुष्यः = मा सौ ॥ इनमें ' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है। 'पकार' के साथ में रहे हए 'र' के लोप के उदाहरण जैसे-कर्षक:कालो . वर्षाः = वासा ।। वर्षः = वासो । यहाँ पर 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दीर्घ हुआ है। 'पकार' के साथ में रहे हए 'ब' के लोप के उदाहरण । सेविकामः = बीसायो । विश्वक = बोसु । इनमें 'ष' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दोघं हुई है। 'पकार' के साथ में रहे हुए 'ष' के लोप के उगाहरण । जैसे-निस्यिक्तः = नीसित्तो । यहाँ पर 'द' के पूर्व में रहे हुए स्वर का वीर्य हुमा है। सकार के साथ में रहे हुए 'य' के लोप के उदाहरण । जैसे -सस्यम् = सास | कस्यचित - कसा । यहाँ पर 'स' के पूर्व में रहे हुए स्वर का दौर्घ हुआ है।
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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