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________________ द्रहो पु० (Aer) बड़ा जलाशय, झील, सरोवर, द्रहः । पिसि देण. अ. (विक् चिक) धिर विक, छी छो; २-८० । २-१७४। वहम्मि पु. (दहे) बड़े पलाशय में, शील व २-४० पिप्पा मक. (दीप्यते) समकता है, पलता है। १-२२३ । घिरत्थु . (घिगस्तु) विकार हो; २-१७४। धनो पु० (ध्वनः) वमा, पताका; २-२७ । घोरं न, (पर्यम्) धीरज, को; १-१५५, २-६४ । घट्ट गो पु- (धृष्टद्युम्नः) राजा द्रुपद का एक पुत्र; धीरिध न. (पर्यम्) धीरज, धीरता; २-१०७ । घठो वि. (वृष्टः) रोठ, प्रगल्म, निलंग्ज, १३० धुत्तिमा पु. स्त्री. (पूर्वस्वम्) पूर्तता, ठगाई; १.३५ 1 घणंजओ पु. (धनंजयः) धनंजय, अर्जुन, १-१७७६ धुतो पु. (धूतः) ग, वश्चक, जूमा खेलने वाला; १.१७७, २-३.1 २-१८५ । प्रत्ता पु. (पूर्ता:) ठग-गण२-२.४ । अपभणी, धनवन्तो वि. (धनवान्) पनी, धनवान, २-१५९/ धुरा स्त्रीः (पुर) गाड़ी मावि का वा भाग पुरी; धरणी वि. (धनी) धनिक, पमवान् । २-१५९ । धाई न. (धनुः) धनुषः १-२२। ध्वसि अक. (नासि) तू कम्पता है। २-२१६। धरान. (धनुः) धनुषः १-२२। धूआ स्त्री. (दुहिता) लड़की को पुत्री; २-१२६ । . धत्ती स्त्री. (पानी) घाय-माता, उपमाता; २-८१ ।। | धूम पडलो पु. पूम पटलः) धूम-समूह; २-१९८ । धत्थो वि. (ध्वस्तः) ध्वंस को प्राप्त; नष्ट; २-७९ । | धोरणि स्त्री. (घोरणि) पंक्ति, कतार; १.७। धमा स्त्री. (पन्या) एक स्त्री का नाम, धन्य-स्त्री; २-१८४1 धम्मिल्ल, धम्मेल्लं न. (पम्मिालम्) संमत केश बंषा आ केश१-८५ न अ. (न) मही; १.१, ४२, २-१८, १९३, धरणीहर पु.. (परणी घर) पर्वत, पहाड, २-१६४ । १९८, १९९,२०३, २०४,.२०५, २०६,२९७ धरित्रो वि. (घतः) धारण किया हुआ; १.३६। नह स्त्री. (नदी); हे न(हे नदि) हे नदी। धा अक.(पाद) दौड़ना सक.(पा) धारण करना; नई स्त्री. (नदी) नदी; १-२२९ । "नि" उपसर्ग के साथ में नहगामो पृ. (नदी-नामः), नइग्गामो (नदी पाम:) नदी निहित्तो वि. (निहितः) धारण किया हुआ; के किनारे पर स्थित प्राम; २.९७ ॥ नई सोत्तं न. (नदीस्रोतः) नदी का झरना; १-४ । निहिमो वि. (निहितः) धारण किया हुआ; २-९९ नई-सोत्तं (नदी स्रोत:)१-४।। 'बद्" के साथ में न उणा न. जण, न उणाइ, नउणो अ. नपुन: ) फिर से सइंहिक वि, (अद्धितम्) जिस पर अदा की गई नहीं; १-६५। हो वह ३-१२। नो - (नगः) पहाड़, वृक्ष; १-१७७ । धाई स्त्री, (पात्री) धाई, उपमाता; २०८१। नमंचरो ३० । नक्तं चर:) राक्षस पोर, बिडाल; १-१७४ धाग स्त्री. (पारा) धार, नोक, अणी; १-७.१४५। नक्खा पु. (नस्यानि) नख, नाखून; २-९०, ९९। धारी स्त्री. (धात्री) पाई, उपमाता; २-८१ । नगो वि. (नग्न:) नंगा, वस्त्र रहित; २.७८, ८९ । धाह देशज, स्त्री. (?) एक प्रकार की पुकार, नच्चइ अक. (नृत्यति) वह नाचता है; चिल्लाहट; २-१९२ नच्चाविश्राई वि. नितितानि) नचाई हुई को; t-३३ धिई स्त्री. सिः) धैर्य, धीरज १-६२८२-१३१ । नज्मा सक, २-२६ जाना जाता है। धिज्ज न. (पम्) धैर्य, धीरज; २-६४ । नई अक. (नृत्यते) (नवते) उससे नाचा जाता है; चिट्ठो वि. (पृष्टः पीठ, प्रगल्भ, निलम्ज; १.१३० ।। नहो ' (नटा) नट; १-१९५ ।
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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