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________________ १-२२९। करा,कस न. (कापहम् ) विभाग; हिस्सा; 1-३०। । कयग्गहो पु. (कचग्रहः) मेघ-महण; बाल-ग्रहण; १-१६७ कराडलिना ली. (कन्दरिका) गुफा; कन्दरा; २-३८ । १८०। कथणं न. (कदनम्).मार डालना हिसा; पाप; मईन कण्डुअइ सक. (कण्ठूयति) षह खुजलाता है१-१२१ आकुलता; १-२१७॥ कारणारी पु. (कणिकारः) वृक्ष विशेष ; गोशाला का एक कथएणू पुं. वि. (कृतशा) उपकार को मानने वाला; भक्त; १-१६८२-९५ । करणेरो पु. (कणिकारः) वृक्ष-विशेष; गोशाला का कयन्यो दु. (कयाधः) रुंड; मस्तक हीन शरीर; पहा एक भक्त; १-१९८। कहो वि. (कृष्णः) काला; क्याम; नाम-विशेष; कथम्बो पु. (कदम्बः) वृक्ष-विशेष; कदम का गांछ; २-७५, ११०। १.२२२ फत्तरी स्त्री. (कतरी) कतरनी; कैंची. २-३० । कयरो वि. (कतरः) दो में से कौन? १-२०१। कत्तिनो पु. कार्तिकः) कार्तिक महीना; कार्तिक सेठ कयलं भ. (कदलम) कदली-फल केला; १-१६७। आदि; -10 कयली स्त्री. कदली) केला का गाछ; १-१६७,२२० । कथइ सक, (कथयति) वह कहता है; १-८७ । कर क्रिया. (R) करना; कहइ सक. ( ,) , करेमि सक. (करोमि) में करता हूँ। १-२९, २-१९० कृत्य अ० (कुत्र) कहाँ पर२-१६१। करेसु सक. (करोषि) तू करता है; ३-२०१। कस्थइ अ. (क्वचित) कहीं; किसी जगहः २-९७४ । काहिइ सक. (करिष्यति) वह करेगा; १-५ । कन्था स्त्री. (कम्पा) पुराने वस्त्रों से बनी हुई गुदड़ी; काही सक. (करिष्यसि ) वह करेगा; १५ । १-१८७१ किज्जह सक. (क्रियते) किया जाता है; १-९७ । कन्दु न० (देशज) (?) नील कमल; २.१७४ । करिन संबं (कुस्खा) करके; १-२७ । कन्दो पु. (स्कन्दः) कार्तिकेय; षडानन; -। काऊण संबं (B) , १-२७. २-२४६ । कप्पतरू (कल्पतरूः) कल्प-वृक्ष; ३-८९ । काउपाणं काउयाण सं. (कृत्वा) करके; -२७ । काफलं न. (कट् फलम्) कायफल २-७७ । कया अ. (कदा) कब किस समय में; २-२.४ | कमदो पु० (कमठः) सापस विशेष; १-१९९६ करणिज्ज वि. (करणीयम) करनी चाहिमे; करने योग्य; कमन्धो पुं० (कबन्ध) बंड; मस्तक होन शरीर; १-२३९४ १ -२४२-२०९। कमलं न. (कमलम्) कमल पम; अरविन्द; २-१८३ ] करणीअं वि. (करणीयम्) करने योग्य; १-२४८ ॥ कमला स्त्री. (फमला) लक्ष्मी; १-३३। पढिकरइ सक. (प्रति करोति) वह प्रतिकूल कमलाई न. (कममानि) माना कमल; १-३३ । करता है। १.२०६। कमलषणं न. (कमल-वनम्) कमलों का वन; २-१८३ । । करसह-फरकही पु म. (कररुहम्) नख; १-३४ । कमल-सरा पु० न. (कमलसरांसि) कमलों के तालाब | करली स्त्री. (कदलो) पताका; हरिण की एक जाति फमो पु. (क्रमः) पाद; पांव; अनुक्रम; परिपाटी; हाथी का एक आभरण; १-२२० । मादा; नियम, २-१०६ । करसी स्त्री. (देशज) (?) श्मशान; मसाण; २-१७४ कंपइ-कम्पइ अक. (कम्पते) वह कांपता है; १-३०, २-३१ फरिसो पु. (करीषः) जलाने के लिये सुखाया हुआ कम्भारा पु. (कश्मीरा:) काश्मीर के लोक; २-६० । गोबर कंडा१-१०१ । कम्मसं न. (कल्मषम्) पाप; वि. (मलीन) २७९ । करीसो पु. (करीषः) पलाने के लिये सुखाया हुआ कम्हारा पु. (कश्मीराः) काश्मीर के लोक; १-१००, ____ गोवर; कंडा; १.२०१। २-६०,७४ करेणू स्त्री. (करेण:) हस्तिनी; हथिनी २-११६ । कयं कृद. वि. (कृतम्) किया हृया; १-६२६, २०९ | कल श्री पु. (कालकः ) कालकाचार्य; १-६७ । २-११४
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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