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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * [ ३३३ से 'त्' का लोप और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्जिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति होकर मडिओ रूप सिद्ध हो जाता है । संमदितः संस्कृत विशेषण है । इसका प्राकृत मप समडिओ होता है । इमको सिद्धि उपरोक्त रूप 'मर्दितः = गझिो ' के समान ही जानना ॥ ३.३६ ।। गर्दभे वा ।। २.-३७ ।। गईभे दस्य डो या भवनि । गड्डहो । गद्दहो । अथ:--संस्कृत शठद गईम' में रहे हुए मयुक्त व्यञ्जन 'ई' के स्थान पर विकल्प से 'ड' की प्राप्ति होती है । गर्दभः-गड्डही और गदही ।। गदभः संस्कृत रूप है। इसके प्राकृत रूप गड्डहो और गदही होते हैं। इन में से प्रथम रूप में सूत्र-संख्या २-३७ से संयुगल व्यन्जन 'ई' के स्थान पर विकल्प से 'ड' की प्राप्ति; २-- से प्राप्त 'ड' को द्वित्व 'डड' की प्राप्ति; १-१८७ से 'भ' का 'ह' और ३.२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर प्रथम रूप गडही सिद्ध हो जाता है। द्वितीय रूप में सूत्र-संख्या २-5 से 'र' का लोप; २.८८ से शेष 'द' को द्वित्व 'ह' की प्राप्ति; और शेष साधनिका प्रथम रूप के समान ही होकर द्वितीय रूप गदहो भी सिद्ध हो जाता है । २-३७ ।। ___ कन्दरिका-भिन्दिपाले एडः ॥ २-३८ ।। अनयोः संयुक्तस्य एडो भवति || कएउलिया 1 भिण्डियालो । अर्थ:--'कन्दरिका' और 'भिन्दिपाल शनों में रहे हुए संयुक्त व्यन्जन 'न्द' के स्थान पर 'एड' की प्राप्ति होती है। जैसे:-कन्दरिकाकण्डलिया और भिन्दिपालः= भिगिडवालो ।। कन्दारका संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप फण्डलिया होता है । इसमें सुत्र-संख्या २-३८ से मयुक्त व्यञ्जन 'न्द' के स्थान पर रख की प्राप्ति; १-२५४ से 'र' का 'ल' और १-१६७ से 'क्' का लोप होकर कपडलिआ रूप सिद्ध हो जाता है । भिन्दिपालः संस्कृत रूप है । इस का प्राकृत रूप भिशिडवालो होता है। इसमें सूत्र-संख्या २-३८ से संयुक्त व्यञ्जन 'न्द' के स्थान पर 'एड' की प्राप्ति; १-२३१ से 'प' का 'व' और ३.२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर मिडियालो रूप सिद्ध हो जाता है। स्तब्धे ठ-ढौ ॥२-३६॥
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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