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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * २६१ और 'ह' दोनों ही होते हैं । जैसे:-सफलम् सभलं अथवा महलं ।। शेफालिका-सेभालिया अथवा सहालिआ || शफरी =सभरी अथवा सहरी । गुफत्ति = गुमइ अथवा मुहइ ।। प्रश्नः-- 'स्वर से परे रहता हुअा हो' ऐसा क्यों कहा गया है ? उत्तर:-क्यों कि यदि किसी शब्द में 'फ' वर्ण स्वर मे परे रहता हुआ नहीं होगा तो उस 'फ' वर्ण का 'म' अथवा 'ह' नहीं होगा । जैसे:---गुम्फति =गुफइ । इस उदाहरण में 'क' वर्ण स्वर से परे रहता हुआ नहीं है, किन्तु सकस भजन म परे रहा हुआ है; अतः यहाँ पर 'क' का 'भ' अथवा 'ह' नहीं हुआ है। ऐसा ही अन्य उदाहरणों में भी समझ लेना ॥ प्रश्न:--'संयुक्त याने हलन्त नहीं होना चाहिये; किन्तु असंयुक्त याने स्वर से युक्त होना चाहिये ऐसा क्यों कहा गया है ? उत्तर:- क्यों कि यदि किसी शब्द में 'फ' वर्ण संयुक्त होगा-स्वर रहित होगा-हलन्त होगा; तो उस 'क' वर्ण का 'भ' अथवा 'ह' नहीं होगा । जैसे:-पुष्पम = पुष्पं ।। (ग्रंथकार का यह दृष्टान्त यहाँ पर उपयुक्त नहीं है; क्यों कि अधिकृत विषय हलन्त 'फ' का है; न कि किसी अन्य वर्ण का; अतः हलन्स 'फ' का उदाहरण अन्यत्र देख लेना चाहिये ।) प्रश्नः-अनादि रूप से स्थित हो; शब्द में प्रथम अक्षर रूप से स्थित नहीं हो; अर्थात् शहद में श्रादि स्थान पर स्थित नही हो'; ऐसा क्यों कहा गया है ? । उत्तरः-क्यों कि यदि किसी शब्द में 'फ' वर्ण श्रादि अक्षर रूप होगा; तो उस 'फ' वर्ण का 'भ' अथवा 'ह' नहीं होगा। जैसे:-तिष्ठति फणी-चिट्ठइ फणी ॥ इस उदाहरण में 'फ' वर्ण 'फणी' पद में श्रादि अक्षर रूप से स्थित है; अत: यहाँ पर 'फ' का 'भ' अथवा 'ह' नहीं हुआ है। इसी प्रकार से अन्य उदाहरणों में भी जान लेना चाहिये ।। प्रश्न: -वृत्ति में 'प्रायः' अव्यय का ग्रहण क्यों किया गया है ? उत्तर:-'प्रायः अव्यय का उल्लेख यह प्रदर्शित करता है कि किन्हीं किन्हीं शब्दों में 'फ' वर्ण स्वर से परे रहता हुआ असंयुक्त और अनादि रूप होता हुआ हो; तो भी उस 'फ' वर्ण का 'भ' अथवा 'ह' नहीं होता है। जैसे:-कृष्ण-फणी कसण-कणो ।। इस उदाहरण में 'फ' वर्ण स्वर से परे होता हुआ असंयुक्त और अनादि रूप है; फिर भी 'फ' वर्ण का न तो 'भ' ही हुआ है और न ह' ही। ऐसा हो अन्य शब्दों के संबंध में भी जान लेना चाहिये । रेफ: संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप रेभी होता है । इसमें सुत्र संख्या १-२३६ से 'फ' का 'म' और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति हो कर रेभो रूप सिद्ध हो जाता है।
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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