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________________ पृष्ठांक २८१ २८३ २६३ २६३ REL क्रमांक विषय सूत्रांक "ह" की प्राप्ति का विधान २६२ से २६३ ६५ "ह" के स्थान पर "," की प्राप्ति का विधान २६४ ६६ “ध', 'श" और "स' के स्थान पर 'छ" को प्राप्ति का विधान २६५ से २.६६ स्वर सहित "ज-क-गा-य-द व" व्यञ्जनों का विभिन्न रूप से एवं विभिन्न शब्दों में लीप-विधि का प्रदर्शन २६७ से २७१ द्वितीय पाद: संयुक्त-व्यञ्जनों लिए अधिकार-सूत्र "क्त-ष्ट-रण-त्व" के स्थान पर वैकल्पिक रूप से "क" आदेश प्राप्ति "क्ष" के स्थान पर "ख-छ-झ" की आदेश प्राप्ति 'क-स्क-व-स्थ-स्त" के स्थान पर विभिन्न रूप से और विभिन्न शब्दों में ""यादेश प्राप्ति का विधान "स्त" के स्थान क्रम से "J" और " ' की प्राप्ति "क" के स्थान पर वैकल्पिक रूप से “ग'' की प्राप्ति 'ल्क" के स्थान पर वैकल्पिक रूप से "ग" की प्राप्ति श्रमुक संयुक्त व्यञ्जनों के स्थान पर विविध रीति से और विविध रूपों में "च" की प्राप्ति १२ से "त्व-एक--ध्व" के स्थान पर क्रम से 'च-छ-ज-झ" की प्राप्ति "" के स्थान पर "चु" की वैकल्पिक प्राप्ति कुछ संयुक्त व्यञ्जनों के स्थान पर विविध रीति से और विविध शब्दों में 'छ" ध्यान की प्राप्ति विशेष संयुक्त व्यञ्जनों के स्थान पर विविध श्राधार से "अ" और "अ" व्यन्जन की प्राप्ति ४ से २५ संयुक्त व्यजनों के स्थान पर "झ" व्यजन की प्राप्ति संयुक्त "न्ध" के स्थान पर ''झा" की प्राप्ति "त" और "से" के स्थान पर "ट" की प्राप्ति "न्त" के स्थान पर "एट" को प्राप्ति संयुक्त व्यञ्जन के स्थान पर "ठ" की प्राप्ति ३२ से ३४ संयुक्त व्यजन के स्थान पर "ड" की प्राप्ति संयुक्त व्यजन के स्थान पर "एड' की प्राप्ति "स्तब्ध" में संयुक्त व्यन्जनों के स्थान पर क्रम से "B" और "तु" को प्राप्ति अमुक संयुक्त व्य-जन के स्थान पर "" की प्राप्ति ४० से ४१ ३०० ३०२ ३०५ ३२२ ३२६
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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