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अपक्कं वा छिग्णु चिन्धु । विहलहल महिले पनि हत्थु ।
के रिउ वयले विन्दुषु ॥१॥ दवयहाँ जेवगड ह ॥ ६ ॥
एस त्रिवे त्रिरण-भर-समत्य | ओवडिय मिडिय गील-प्पर || ७ || किस-रोस गिचित्र वेणि वि गङ्गाखिया
||८||
पच्चारित पीलु पह जय-लदेउ आलिङ्गशु
एत्थन्तरे णी ण किउ खेड | यामेति प
सो एन्तु पत्यें कुद्रण । यूँ छ सरवरे
मरि
छत्ता
'पहरु पहरू एकहों जगहों । जिम रामही जिम राम ॥२॥
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जं विणिय हस्थ-पहरथ वे वि । र्ण मत्त महाराज गय-विाणु ।
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पाठ विसजिउ चण्ड- वेउ ॥११॥ महाविगुणु मेम्व ॥ २ ॥ करियर- सन्दर्भेण करि पुन ||३|| णं महिलु आगमें मुनिवरेहिं ॥४॥ एक्केकहाँ वे वे वाण दुक ||५|| विहिंसारहि विहिं षय थरहरन्त || ६ || धड एक्के एक डिग्रड भिष्णु ॥७॥
चवीस वर गोळेग मुख । विधि करि कप्परिंग समोत्थरन्व । रह एक एक कवउ छिष्णु ।
विहिं वाहु दण्ड विहिं विलुभ पाम । एवं तहाँ मस्यावस्थ जाय ||
धत्ता
सिर-कम-करोरु छक्खण्डइँ जाउ सिलीमुह कप्परिट | जिद्द हड पबन्त णं भूअहँ वलि विकिखरि ||१||
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थि राय मुर्दे कर-कमल देव ||१|| णं वासरे तेय - विहीणु भाणु ॥२॥