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________________ तिहत्तरवी सन्धि २२६-३१३ रावणकी दिनचर्या, तेल मालिश, उबटन स्नान, जिन भगवान्के दर्शन, स्तुति वन्दना । आकर भोजन, विश्राम, त्रिजगभूषणपर बैठकर रावणका सीतादेवोंके निकट जाना । बहुरूपिणी विशका प्रदर्शन । महासती सीतादेवीको बायंका, रावण द्वारा प्रलोभन, सीता द्वारा फटकार, रावणका निराश होकर, अपने अन्तःपुरमें जाना । चौहत्तरवी सन्धि ३१४-३४१ सूर्योदय--प्रभातका वर्णन, राप्रपाका दरबार में आकर बैठना. उसे अपने पुत्र और भाईके अपमानकी याद आना। रावणाका अपनी आयुषशालामें प्रवेश, तरह-तरह के अपशकुन होमा । मन्त्रिवृद्धोंके अनुरोधपर मन्दोदरी दुबारा रावणको समझाती है। रावणकी दर्पोक्ति, मन्योदरी द्वारा रावणको कड़ी आलोचना, युद्धकी तैयारी, युद्धके लिए प्रस्थान । युद्ध संनन राषणका वर्णन । लक्ष्मणका अपना धनुष चढ़ाना, विभिन्न सामन्तों द्वारा अपने-अपने शस्त्र संभालना, सेनावोंका व्यूह, विभिन्न दलों, टुकड़ियों और योद्धाओंमें भिडन्त । गजघटाका वर्णन । उभय सेनाओंमें व्यापक क्षति, युद्धको धूलका फैलना, मोटाका गजघटासे लगना, युद्धका वर्णन । एक दूसरेपर योद्धाओंका प्रहार ।
SR No.090356
Book TitlePaumchariu Part 4
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages349
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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