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पठमचरित
काय-कुमुभ-कुन्द-इन्दाउह-इन्द-पबिन्द-सुन्दरा मड-विसाल-मन हल्लिर-कल्लोलु लोल कुम्वा ।।३॥ धामिर-धूमलपिप-धूमालि-धूमावत्त-धूसरा दूसण-चन्दरण दूसालण-दूसल दुरिग्र-दुकर। ॥४॥ दुप्पिय-मुम्मरिफरव-दुजोहण तार-सुतार-तासणा शुभर लिय-लुचउरण-ताराबलि-गथासगा !III ताराणिकन-सिलय-तिक यालि-तिलगायत-नक्षणा जरविहि-वजवाहु-मरुत्राहु-सुवा-सुरिट्ट-अअणा ॥६॥
(दुबई-कड़वयं जाम छन्दों)
पत्ता पुए णरषद समर-सऐं हि णिम्बुढा । चलिय असेस वि पचर-बिमाणारूढा ।। |
[ ] रहवरगयवरहि एक हि। तिहिं तुरण हि पञ्चहि पाहि ॥ ॥ बुच्चन पत्ति सेण तिहि पसिरहें। संथामुह तिहि सेणुप्पत्तिहि ॥ गुम्मु ति-सेणामुह-महिणाग हि। बाहिणि तिहि गुम्म-परिमीण हिं॥३॥ तिहिं पाहिणिहि अण्ण तिहि पिवणे हि। तं चमु प्यासु पगासिक पिउण हि ॥१ सिहि चम् हि पभणन्ति श्रणिणि । दसहि अणिकिणीहि अक्खोहणिप| एवमोहानीहि वि सहास। जाइँ भुवण णिय-णाम-पगासह ।। ६ ॥ घउ कोडीउ सन्ततीस लक्रन चालीस सहस रह-गबहुँ सङ्ग ॥७॥ सत्तासी लमत्र स-मच्छररा? चले. एकवीस कोडिड णराहुँ ॥4॥
घत्ता तेरह कीरिउ वारह लपत्र अहहुँ। वीस सहास इट परिमाणु तुरहुँ ॥ ९॥